!! शुभ-दीपावली
!!
रोशनी का पर्व है,
दीपक जलायें।
नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।। बातियाँ नन्हें दियों की कह रहीं, इसलिए हम वेदना को सह रहीं, तम मिटाकर, हम उजाले को दिखायें। नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।। डूबते को एक तृण का है सहारा, जीवनों को अन्न के कण ने उबारा, धरा में धन-धान्य को जम कर उगायें। नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।। जेब में ज़र है नही तो क्या दिवाली, मालखाना माल बिन होता है खाली, किस तरह दावा उदर की वो बुझायें। नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।। आज सब मिल-बाँटकर खाना मिठाई, दीप घर-घर में जलाना आज भाई, रोज सब घर रोशनी में झिलमिलायें। नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें।। |
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गुरुवार, 23 अक्तूबर 2014
"गीत-नीड़ को नव-ज्योतियों से जगमगायें" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुंदर प्रस्तुति । दीप पर्व शुभ हो सपरिवार सभी को ।
जवाब देंहटाएंसुन्दर सामयिक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको भी दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!
आपको दीपावली की सपरिवार हार्दिक शुभकामनाएँ !
जवाब देंहटाएंकल 24/अक्तूबर/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद !
मित्र !आप को सपरिवार दीपावली की शुभकामना ! सुन्दर प्रस्तुतीकरण !
जवाब देंहटाएंSunder va saarthak prastuti....!!
जवाब देंहटाएंbahut badhiya ,shabdon ki jadugari...
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