मतलब की है दोस्ती,
मतलब का है प्यार।
मतलब के ही वास्ते,
होती है मनुहार।।
दुनियाभर में प्यार
की, बड़ी अनोखी रीत।
गैरों को अपना करे, ऐसी होती प्रीत।।
उपवन सींचो प्यार
से, मुस्कायेंगे फूल।
पौधों को भी चाहिए, नेह-नीर अनुकूल।।
छोटे से इस शब्द की, महिमा अपरम्पार।
मतलब के ही वास्ते,
होती है मनुहार।१।
छोटी सी है
ज़िन्दग़ी, काहे को अभिमान।
तन नश्वर है सभी का, होना है अवसान।।
दिल से निकले भाव
ही, देते हैं उल्लास।
जीवन को करते सरस,
हास और उपहास।।
सावन में अच्छे
लगें, छींटे औ’ बौछार।
मतलब के ही वास्ते,
होती है मनुहार।२।
साथ-साथ चलते सदा, आँसू औ’ मुस्कान।
दोनों ही हालात में, उर से उपजे गान।।
ढाई आखर में छिपा, दुनियाभर का मर्म।
प्यार हमारा कर्म
है, प्यार हमारा धर्म।।
प्यार नहीं है
वासना, ये तो है उपहार।।
मतलब के ही वास्ते,
होती है मनुहार।३।
जीव-जन्तु भी जानते, क्या होता है प्यार।
आ जाते हैं पास में, सुनकर मधुर पुकार।।प्यार-प्रीत की राह में, आया है व्यापार।
महकेगा कैसे भला, उपवन का श्रृंगार।।
ढली “रूप” की धूप तो, बदल गया संसार।
मतलब के ही वास्ते,
होती है मनुहार।४।
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मंगलवार, 7 अक्तूबर 2014
"दोहागीत-मतलब का है प्यार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत खूब ।
जवाब देंहटाएंBahut sunder panktiyaan .... Ati sunder prastuti !!
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर!
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