आपकी अपनी भाषा देवनागरी
आपकी बाट जोह रही है...
एक वह भी समय था जब
हिन्दीब्लॉगिंग ऊँचाइयों के आकाश को छू रही थी। उस समय हिन्दी के ब्लॉगों पर टिप्पणियों की भरमार रहती थी। मगर आज हिन्दीब्लॉगिंग की दुर्दशा को को
देखकर मन बहुत उदास और खिन्न हो रहा है। आखिर क्या कारण है कि सन् 2013 के बाद हिन्दी
ब्लॉगिंग के प्रति लोगों का रुझान अचानक कम हो गया है?
कई लोगों से इस
सम्बन्ध में बात होती है तो वो कहते हैं कि फेसबुक के कारण हिन्दी ब्लॉगिंग पिट
गयी है। मेरे एक बहुत पुराने श्री...अमुक... जी हिन्दी ब्लॉगिंग के पुरोधा माने
जाते थे। उनसे अभी एक सप्ताह पहले मेल पर बात हो रही थी मैंने कहा...मित्र आप तो
एक दम हिन्दी ब्लॉगिंग से गायब हो गये। तो उन्होंने एक बड़ा अटपटा सवाल मुझ पर
दाग दिया- “अरे...! क्या हिन्दी ब्लॉगिंग अभी चल रही है?” उनकी बात सुन कर
मुझे बहुत अटपटा लगा। लेकिन मैंने उन्हें उल्टा जवाब न देकर इतना ही कहा कि हाँ
मित्र चल रही है और मैं अपने ब्लॉग “उच्चारण” पर नियम से प्रतिदिन अपनी पोस्ट
लगाता हूँ।
आइए विचार करें कि
हिन्दी ब्लॉगिंग क्यों पिछड़ रही है?
1 – इसका सबसे
प्रमुख कारण है कि सुस्थापित और जाने-माने ब्लॉगरों का अपनी पोस्ट के कमेंट पर
मॉडरेशन लगाना। अर्थात् पोस्ट पर की टिप्पणी को देख कर ही प्रकाशित करना। यानि
मीठा-मीटा हप्प...और कड़वा-कड़वा थू। आप उनकी पोस्ट पर की सुझाव या सलाह देंगे
तो उनको यह कतई स्वीकार्य नहीं है। क्योंकि वह स्वयंभू विद्वान हैं ब्लॉगिंग के। जबकिवे लोग फेसबुक परभी हैं परन्तु वहाँ ऐसा
नहीं है। आप फेसबुक की किसी भी पोस्ट का पोस्टमार्टम करके अपने विचार रख सकते
हैं। आपकी टिप्पणी यहाँ बस एक क्लिक करते ही तुरन्त प्रकाशित होती है।
2 – दूसरा कारण यह
है कि आप अपने मित्रों के साथ ब्लॉग से सीधे बात-चीत नहीं कर सकते। यद्यपि इसका
विकल्प जीमेल में है। आप जी मेल में जाकर अपने मित्रों से वार्तालाप कर सकते
हैं। किन्तु परेशानी यह है कि बहुत से ब्लॉगर मेल पर अपने को अदृश्य रखने में
अपनी शान समझते हैं।
3 – तीसरा सबसे
बड़ा कारण यह है कि बहुत से लोग देवनागरी में लिखने में या तो असमर्थ हैं या उन्हें
तकनीकी ज्ञान नहीं है। जानकारी के लिए यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि गूगल ने यह
सुविधा दी हुई है कि की भी व्यक्ति यदि हिन्दी में लिखना चाहे तो वह अपने
कम्प्यूटर के कण्ट्रॉल पैनल में जाकर रीजनल लैंग्वेज में भारत की भाषा हिन्दी को
जोड़ सकता है। इसके बाद वो व्यक्ति यदि रोमन में लिखेगा तो उसकी भाषा देवनागरी
में रूपान्तरित होती चली जायेगी।
4 – चौथा कारण यह
है कि हर व्यक्ति शॉर्टकट अपनाने में लगा हुआ है। यानि सीधे-सीधे फेसबुक पर लिख
रहा है। यबकि होना तो यह चाहिए कि यदि व्यक्ति ब्लॉगर है तो सबसे पहले उसे अपनी
पोस्ट को ब्लॉग में लिखना चाहिए। क्योंकि ब्लॉगपोस्ट को गूगल तुरन्त सहेज लेता
है और आपकी पोस्ट अमर हो जाती है। आप कभी भी अपनी पोस्ट का की-वर्ड लिख कर गूगल
में उसे सर्च कर सकते हैं।
5 – एक और सबसे
महत्वपूर्ण कारण यह भी है कि ब्लॉगर चाहते तो यह हैं उनकी पोस्ट पर कमेंट बहुत
सारे आये, मगर दिक्कत यह है कि वे स्वयं दूसरों की पोस्ट पर कमेंट नहीं करते हैं। अधिक
कमेंट न आने के कारण ब्लॉगर का ब्लॉग लिखने का उत्साह कम हो जाता है।
आज कम्प्यूटर और
इण्टरनेट का जमाना है। जो हमारी बात को पूरी दुनिया तक पहुँचाता है। हम कहने को
तो अपने को भारतीय कहते हैं लेकिन विश्व में हिन्दी को प्रतिष्ठित करने के लिए
हम कितनी निष्ठा से काम कर रहे हैं यह विचारणीय है। हमारा कर्तव्य है कि हम यदि
अंग्रेजी और अंग्रेजियत को पछाड़ना चाहते हैं तो हमें अन्तर्जाल के माध्यम से
अपनी हिन्दी को दुनिया के कोने-कोने तक पहुँचाना होगा। इसके लिए हम अधिक से अधिक
ब्लॉग हिन्दी में बनायें और हिन्दी में ही उन पर अपनी पोस्ट लगायें। इससे हमारी
आवाज तो दुनिया तक जायेगी ही साथ ही हमारी भाषा भी दुनियाभर में गूँजेगी। आवश्यक
यह नहीं है कि हमारे राष्ट्र के राष्ट्राध्यक्ष दूसरे देशों में जाकर हिन्दी में
बोल रहे हैं या नहीं बल्कि आवश्यक यह है कि हम पढ़े-लिखे लोग कितनी निष्ठा के
साथ अपनी भाषा को सारे संसार में प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं।
अन्त में एक निवेदन
उन ब्लॉगर भाइयों से भी करना चाहता हूँ जो कि उनका ब्लॉग होते हुए भी वे हिन्दी
ब्लॉगिंग के प्रति बिल्कुल उदासीन हो गये हैं। जागो मित्रों जागो! और अभी जागो! तथा अपने
ब्लॉग पर सबसे पहले लिखो। फिर उसे फेसबुक / ट्वीटर पर साझा करो। आपकी अपनी भाषा
देवनागरी आपकी बाट जोह रही है।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
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गुरुवार, 28 मई 2015
"हिन्दी ब्लॉगिंग की दुर्दशा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत ही महत्वपूर्ण लेख लिखा आपने 👌👌
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर -- लेख पर देर से उपस्थित होने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ | आपका 2015 में लिखा ये लेख आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उस समय था | आपने जिस सत्य का इस लेख में जिक्र किया वह कडवा होते हुए भी एकदम सही है |और मुझे भी मीना बहन की तरह ही पढने के शौक ने ब्लॉग से जोड़ा | कई सालों तक मैं सिर्फ ब्लॉग का नाम ही सुनती रही थी और एक बार एक असफल ब्लॉग भी बनाया जो उन दिनों शेयर नहीं कर पाने की स्थिति , ज्यों का त्यों एक पोस्ट तक सीमित रह आज भी अधूरा है | पर जुलाई 2017 से मैं अपने दो ब्लॉग पर नियमित हूँ पर बहुत ज्यादा नहीं लिख पायी | मुझे अपने अनुभव में ऐसे बहुत कम ब्लॉग मिले जिन पर टिप्पणी ब्लॉग संचालक की स्वीकृति के बाद दिखती हो | और नई ब्लॉगर होने के बावजूद मेरे ब्लॉग पर आकर पढने वाले पाठकों की भी कमी नहीं रही जिसे अपना सौभाग्य मानती हूँ |
जवाब देंहटाएंआज अगर कोई हिंदी के ब्लॉग पर रोमन लिपि में हिंदी लिखता है तो मन खिन्न हो जाता है क्योकि जब मेरे जैसी गृहणी हिंदी के टूल से वाकिफ है तो वो शिक्षित लोग क्यों नहीं जो इंटरनेट पर पढ़ तो सकते हैं पर हिंदी लिख नहीं सकते |और मैंने ब्लॉग्गिंग के दौरान अनगिन ब्लोगों का भ्रमण किया बिना किसी को कम या ज्यादा महत्व के , क्योकि मुझे पता ही नहीं था कि कौन प्रसिद्ध ब्लॉगर है और कौन नया !! पर इसके बदले मुझे बहुत पहचान मिली | हर रचना को मैं महत्व देती हूँ हर रचनाकार के अपने भाव और चिंतन दृष्टि है |
सच कहूं आज तक मैंने कोई बेकार रचना किसी ब्लॉग पर तो नहीं पढ़ी | किसी के ब्लॉग पर जाकर हम कुछ ना कुछ सीखते जरुर हैं शर्त ये है हम ईमानदार पाठक हों जो किसी की रचना को पूर्ण सम्मान देकर समीक्षा करें | गूगल प्लस के अवसान के बाद ब्लॉग पर पाठकों की उपथिति जब शून्य हो गयी तो FB पर अकाउंट बनाना मज़बूरी हो गया हालाँकि एक दो व्यक्ति हतोत्साहित करने वाले भी रहे | FB पर ब्लॉग का लिंक शेयर करने से कुछ पुराने पाठक तो ब्लॉग से दुबारा जुड़ चुके हैं पर बहुत से लोगों से अब भी सम्पर्क नहीं हो पाया , हाँ चर्चा मंच , पांच लिंकों का आनन्द और अन्य मंचों से रचना जरुर पाठकों से सीधा जुड़ जाती है | ब्लॉग्गिंग एक रूहानी आनन्द है जिसने हम घर में सिमटी महिलाओं तक को भी पहचान दी है | आज हम अपनी बात बहुत ही सरलता और सहजता से अनगिन लोगों तक पहुंचा सकते हैं | हमारी रचनात्मकता को परखने और मार्गदर्शन के लिए मंच पर अनुभवी लोग मौजूद हैं और क्या चाहिए ? हम हिंदी के प्रति प्रतिबद्धता से काम करें और वो भी निष्काम भाव से -- इसी में हमारे लेखन की सार्थकता है | और पाठको और सहयोगियों से विनम्र आग्रह है यदि कोई रचना FB पर ब्लॉग के लिंक के साथ शेयर की गयी है तो अपनी अनमोल टिप्पणी अंदर ब्लॉग में जाकर ही दर्ज करें अन्यथा FB पर ये टिप्पणी बाहर रहकर महत्व खो देती है | और ज्यादा LIKE के चक्कर में समय ना गवांये यही समय अपनी रचनात्मकता को समर्पित करें |एक लेख के लिए एक ही टिप्पणी पर्याप्त है | एक बात और ब्लॉग की रचनाएँ
प्राय मौलिक और प्रमाणिक होती हैं और रचनाकार से हमारा सीधा संवाद होता है | इस लेख से बहुत बातें जानी | दुआ है ब्लॉग्गिंग का वो सुनहरा अतीत फिर से लौट ए जिसे हम जैसे नए ब्लोग्गेर्स ने नहीं देखा |
हार्दिक आभार इस सार्थक लेख के लिए | सादर
मान्यवर आपकी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ ।आपके इस लेख से प्रभावित भी हूँ।निकट भविष्य में प्रयास करूँगी।मुझे जानकारी इस विषय में कम है।पर प्रयत्न अवश्य करूँगी।
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन।
बेहतरीन लेख आदरणीय 👌,पढ़ कर बहुत अच्छा लगा बहुत सी नई और अच्छी जानकारी के साथ ब्लॉग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है पर निकट भविष्य में अपना पूर्ण योगदान करुँगी
जवाब देंहटाएंरेणु बहन की बहुत ही अच्छी सार्थक टिप्णी
सादर