चमन के फूल सहमें
हैं, नजारा देख मौसम का
हुए गमगीन भँवरे
हैं, नजारा देख मौसम का
फलक में हैं बहुत
बादल, नदारत है मगर बारिश
बड़ा हैरान है
माली, नजारा देख मौसम का
करो जैसा-भरो
वैसा, यही कानून कुदरत का
मियाँ हलकान क्यों होते, नजारा देख मौसम का
जफा करके मिलेगा
क्या, यहाँ अहसान का बदला
नजर के सामने
अपनी, नजारा देख मौसम का
मिला जितना उसी का,
शुक्रिया करना नहीं आया
हकीकत तो हकीकत
है, नजारा देख मौसम का
सितारों से नहीं
होती, कभी भी रात रौशन है
अँधेरी रात में
दिलवर, नजारा देख मौसम का
अदब की अंजुमन
में, आज होती ‘रूप’
की पूजा
सुनाते हैं ग़ज़ल
जाहिल, नजारा देख मौसम का
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वाह, अति उत्तम !
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह भाव के साथ भाषा परिपक्व है . बहुत खूब आदरणीय शास्त्री जी
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