श्री गणेश चतुर्थी -- गणपति की पूजा करो, कहते धर्माचार्य।। -- भर देता नवऊर्जा, चतुर्दशी का पर्व। गणपति के त्यौहार पर, भक्तों को है गर्व।। हुआ चतुर्थी से शुरू, गणपति जी का पर्व। हर्षित होते दस दिवस, सुर-नर, मुनि गन्धर्व।। वन्दन-पूजन से किया, सबने विदा गणेश। विघ्नविनाशक आप ही, सबके हो प्राणेश।। बाधाओं का शमन हो, मिट जायेंगे रोग। मोदक से विध्नेश को, आप लगायें भोग।। रमा और माँ शारदे, रहें आपके साथ। रखना मेरे शीश पर, गणनायक जी हाथ।। मूषक ढोता आपका, भारी-भरकम भार। गणपति मेरे सदन में, आओ बारम्बार।। विश्व साक्षरता दिवस -- बना दीजिए देश में, शिक्षा का परिवेश। अलख जगा दो ज्ञान की, करो साक्षर देश।। -- कोई व्यक्ति नहीं रहे, यहाँ अँगूठा-छाप। पढ़ने-लिखने के बिना, जीवन है अभिशाप।। -- साक्षरता के दिवस को, मना रहा संसार। शिक्षित करो समाज को, दिवस करो साकार।। -- दीप जलाकर ज्ञान का, दूर करो अज्ञान। जाकर निर्धन के यहाँ, दे दो अक्षर ज्ञान।। -- पढ़े-लिखे ही लोग तो, करते जग-उद्धार। जीवन के हर क्षेत्र में, फैला दो उजियार।। -- |
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शुक्रवार, 9 सितंबर 2022
दोहे "श्री गणेश चतुर्थी और शिक्षा का परिवेश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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