-- खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। उष्ण मौसम का गिरा कुछ आज पारा, हो गयी सामान्य अब नदियों की धारा, नीर से आओ करें हम आचमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। रात लम्बी हो गयी अब हो गये छोटे दिवस, सूर्य की गर्मी घटी, मिटने लगी तन की उमस, बाँटती है सुख, हमें शीतल
पवन। अर्चना-पूजा की चहके दीप लेकर थालियाँ, धान के बिरुओं ने पहनी हैं सुहानी बालियाँ, अन्न की खुशबू से, महका है चमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। -- तितलियाँ उड़ने लगीं बदले हुए परिवेश में, भर गयीं फिर से उमंगे आज अपने देश में, शीत का होने लगा अब आगमन। खिल उठे फिर से वही सुन्दर सुमन। छँट गये बादल हुआ निर्मल गगन।। -- |
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मंगलवार, 27 सितंबर 2022
गीत "बाँटती है सुख, हमें शीतल पवन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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शरद ऋतु का सुंदर वर्णन
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
आदरणीय डॉ. साहब आपके स्नेह भरे आशीर्वाद के लिए सादर नमन !
जवाब देंहटाएंसही कहा अब मौसम बदलेगा ऐसा लगता है और उष्णता अब ढूंढी तलाशी भी जाएगी , बहरहाल आपको "शारदीय नवरात्र " एवं शरद ऋतू के मधुर आगमन की बहुत बहुत शुभेच्छाएं !
खिलने लगे सुमन , अरु मन-कली इठला गयी ,
ऋतुओं की महारानी शरद लो चुपके से आ गयी ||
सादर नमन !
प्रकृति परिवर्तन को बड़े ही सुन्दर ढंग से शब्दों में बांधा है। सुंदर, सार्थक और सामयिक प्रस्तुति के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं सर।
जवाब देंहटाएंगर्मी के दिनों की तीव्र ऊष्णता के उपरान्त राहत की उम्मीद वर्षा की झिलमिल बूंदों से होती है, किन्तु कभी-कभी बादलों की भीषण गहमागहमी से अनवरत वर्षा की झड़ी जिस तरह से कहर बरपा कर देती है, वह गर्मी के दिनों की आपदा से कम त्रासदीदायक नहीं होती। ऐसी स्थिति में शरद ऋतु की आहट एक सुखद सन्देश देती है और शीतकाल अपना कोप दिखाए उससे पहले के कुछ दिनों के लिए मन को सुकून देती है। फिर प्रकृति के नियम से आबद्ध ऋतु- परिवर्तन के विभिन्न चरणों का फिर से स्वागत करना ही होता है। कभी सुखकारी तथा कभी कष्ट की स्थिति, यही तो प्रकृति की विडम्बना है। आपकी सुन्दर रचना ने मन मोह लिया।
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