आश्विन द्वितीया पूज्य पिता जी का श्राद्ध -- तर्पण किया श्रद्धा और श्राद्ध से है आपका, मेरे पूज्य पिता श्री आपको नमन है। जीवन भर आपने जो प्यार और दुलार दिया, मन की गहराइयों से आपको नमन है। कबी भी अभाव का आभास नहीं होने दिया, कर्म के पुजारी पूज्य तात को नमन है। रहे नहीं भाग्य के भरोसे कभी जन्मभर, उस सुगन्ध वाले पारिजात को नमन है। -- आपके ही पथ का पथिक है सुत आपका, दिव्य-आत्मा प्रकाश पुंज को प्रणाम है। देव के समान सुख बाँटते रहे जो सदा, ऐसे पालनहार को तो कोटिशः प्रणाम है। जीने के जगत में सिखाये ढंग आपने, ईश के समान मेरे देव को प्रणाम है। मार्ग सुख सम्पदा के मुझको बताये सभी, ऐसी मातृभूमि और पिताजी को प्रणाम है। -- |
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रविवार, 11 सितंबर 2022
कवित्त "पूज्य पिताश्री को नमन" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(१२-०९ -२०२२ ) को 'अम्माँ का नेह '(चर्चा अंक -४५५०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
श्रद्धा भाव से भरी भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएं