हे नेताओं! स्वीकार करो, मेरा वन्दन। युगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।। कभी बने तुम पुरुषोत्तम, और कभी बन गये योगिराज, कभी बने तुम ही गांधी, और कभी बने जनताधिराज, शत्-शत् तुम्हें प्रणाम, तुम्हारा अभिनन्दन। युगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।। कभी बने ईशूमसीह, और कभी बने सुकरात-मुहम्मद, कभी बने गुरूनानक तुम, और कभी बने गुरूदेव, दयानन्द, किया दूर अज्ञान, तुम्हारा अभिनन्दन। युगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।। कभी तो सन्त-कबीर बने, और कभी बन गये तुलसीदास, कभी बने तुम परमहंस, और दिया विश्व को नव-प्रकाश, किया विश्व-कल्याण, तुम्हारा अभिनन्दन। युगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।। कभी बने तुम वीर धनुर्धर, और कभी बन गये वीर शिवाजी, कभी बनें झाँसी की रानी, और कभी दुर्गा, इन्दिरा जी, हे युग के जीवन-प्राण, तुम्हारा अभिनन्दन। युगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।। |
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गुरुवार, 8 मार्च 2012
"स्वीकार करो, मेरा वन्दन" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति …………होली की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंbahut sundar rachana rupchandra ji ....
जवाब देंहटाएंhttp://jadibutishop.blogspot.in
शास्त्री जी, एक बार फिर नये रंग में.
जवाब देंहटाएंएक बार फिर नये रंग में, शास्त्री जी. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंमहापुरुषों को नमन!!
जवाब देंहटाएंभाव भरी प्रस्तुति!!
उत्साह व रंगो के पावन होली पर्व पर असीम शुभकामनाएँ
सब युगदृष्टाओं को सुन्दर नमन..
जवाब देंहटाएंbahut shandaar kavita hai mahapurushon ko naman mahapurushon ke roop me aane vaale prabhu ko naman,bhagvan ko naman.holi ki shubhkamnayen.
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर....
जवाब देंहटाएंईश्वर के हर रूप को नमन...
शुक्रिया
सादरं नमन.
कभी बने तुम मुलायम , लालू ...
जवाब देंहटाएंकभी बने सोनिया चरनन के दास
नमन करूँ वह जेल शलाका
जहां विराजित अजमल कसाब
हे आज के नेताओं नमन है तुमको
स्वीकार करो तुम मेरी अरदास
आपको तथा सभी ब्लॉगर बंधुओं को होली की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं
BAHUT SUNDAR...HAPPY HOLI...KAR DE GOAL
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब ...सभी महापुरुषों को नमन
जवाब देंहटाएंहे नेताओं! स्वीकार करो, मेरा वन्दन।
जवाब देंहटाएंयुगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।।
नमन इन देव स्वरूपों को ...
हे नेताओं! स्वीकार करो, मेरा वन्दन।
जवाब देंहटाएंयुगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।।
जब बने आज वैशाख नंदन ,फिर कैसे हो अर्चन वंदन .
बहुत सुंदर नए अंदाज की प्रस्तुति,,,,,
जवाब देंहटाएंवाह जी एक और सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंयुगदृष्टाओं को वंदन .... पर आज के नेता वंदन करने लायक नहीं ... बहुत अच्छी प्रस्तुति ...होली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंaap bhee svikaar karein mera vandan guru ji!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर सुरुचिपूर्ण सृजन अभिव्यक्ति को मुखरता प्रदान करता हुआ ओजपूर्ण लगा ..... बधाईयाँ जी /
जवाब देंहटाएंहोली की हार्दिक शुभकामनाएँ!
जवाब देंहटाएंहोली में आपका स्नेह मिला...आभार। सुंदर छंद में आपने महापुरूषों की प्रशंसा की है लेकिन नेता शब्द जोड़ दिया है जिससे इस प्रशंसा में एक शालीन व्यंग्य उभड़ कर आता है। यह बताता है कि हे नेताओं! देखो, वास्तव में नेता कैसा होना चाहिए।
जवाब देंहटाएंयुगदृष्टाओं स्वीकार करो, मेरा वन्दन।।bahot achchi lagi aapki ye kavita.
जवाब देंहटाएंओजपूर्ण रचना.....होली की शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंवास्तविक नेता तो यही थे !
जवाब देंहटाएंहोली की बहुत शुभकामनायें !
अलग ही अंदाज की रचना सर...
जवाब देंहटाएंहोली कि सादर शुभकामनाएं...
सुन्दर कविता..मनोरम झांकी प्रस्तुत करती रचना..
जवाब देंहटाएं