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बहुत सुन्दर रचना ..और आपकी फोटो भी सोने पर सुहागा .. :)
जवाब देंहटाएंबंडी पहने कृषक निराला
जवाब देंहटाएंफसल देख होता मतवाला
भूखा रह जाता खुद लेकिन
देता दुनियाभर को निवाला.
सुंदर सादगीपूर्ण रचना........
धरती उपजे सोना .....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर.
सादर.
अनु
सुन्दर चित्रों के साथ सुन्दर भाव....
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और उपयुक्त सन्देश!...
जवाब देंहटाएंकिसान की दशा सुधरने लगे तो आनंद आ जाए. सुन्दर रचना सुन्दर चित्र.
जवाब देंहटाएंwah....bahut sunder.
जवाब देंहटाएंबीज से लेकर बाली पकने तक की जीवन गाथा रचना के माध्यम से उतार दी ... बधाई शास्त्री जी ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर चित्रमयी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंbahut sundar dono avasthaon ke gehun ke chitra
जवाब देंहटाएंaur sundar kavita.
बढ़िया कविता...
जवाब देंहटाएंवाह! बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंसादर।
बहुत सुंदर रचना,बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंMY RESENT POST...काव्यान्जलि... तुम्हारा चेहरा.
सुन्दर मंजर .
जवाब देंहटाएंatisundar post ,man ko prakrti or dhra se naye rishton men bandhati .svagat hae meri nai post par saadar.
जवाब देंहटाएंवाह! कृषि-प्रधान देश की अमूल्य धरोहर पर शानदार रचना!
जवाब देंहटाएंअरवीला रविकर धरे, चर्चक रूप अनूप |
जवाब देंहटाएंप्यार और दुत्कार से, निखरे नया स्वरूप ||
आपकी टिप्पणियों का स्वागत है ||
बुधवारीय चर्चा-मंच
charchamanch.blogspot.com
वाह! क्या बात है!!!
जवाब देंहटाएंbahut sunder.,,,,!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ... !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब लिखा है, बेहतरीन प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंसुन्दर चित्रों से सजी बढ़िया रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
बेहतरीन सृजन , अपने सन्देश में सफल .....बधाईयाँ जी
जवाब देंहटाएंलहलहाते खेत ही धरती का सोना हैं।
जवाब देंहटाएंlahlahate kheton ki baat hi nirali hai..
जवाब देंहटाएंbahut sundar chitramay prastuti..aabhar
बहुत सुंदर चित्रमय कविता....आभार
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