कहाँ गये वो मीत पुराने। किसे सुनाऊँ नए तराने? जीवन की आपाधापी में, उलझ गए हैं ताने-बाने।। छूट गए हैं सभी सहारे, राख बन गए अब अंगारे, भावों की बहती गंगा में, खोज रहा हूँ नये ठिकाने। जीवन की आपाधापी में, उलझ गए हैं ताने-बाने।। इस दुनिया की अजब कहानी, चार दिनों का खेल जवानी, बचपन-यौवन और बुढ़ापा, सब लगते जाने-पहचाने। जीवन की आपाधापी में, उलझ गए हैं ताने-बाने।। सूख गई है डाली-डाली, पीत बन गई है हरियाली, पात झड़ गये सभी सुहाने। जीवन की आपाधापी में, उलझ गए हैं ताने-बाने।। उड़ने को तो छोर नहीं हैं, मगर हाथ में डोर नहीं है, पतंग सलोनी कट जाने पर, गिरी धरा पर चारों-खाने। जीवन की आपाधापी में, उलझ गए हैं ताने-बाने।। |
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शुक्रवार, 16 मार्च 2012
"उलझ गए हैं ताने-बाने" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जीवन की आपाधापी में,
जवाब देंहटाएंउलझ गए हैं ताने-बाने।।
wah.....ekdam kadi sachchayee,bahot umda.....
उड़ने को तो छोर नहीं हैं,
जवाब देंहटाएंमगर हाथ में डोर नहीं है,
पतंग सलोनी कट जाने पर,
गिरी घरा पर चारो-खाने।
बहुत बहुत सुन्दर...
खूबसूरत प्रवाहमयी रचना है सर ...
सादर.
जीवन की आपाधापी में,
जवाब देंहटाएंउलझ गए हैं ताने-बाने।।
आपने सही कहा ..........
खुबशुरत सुंदर रचना,........
ताना-बाना से क्यूँ ताना, मार रहे हैं गुरुवर ।
जवाब देंहटाएंताना ना बाना पर सोहे, जो धारे हैं तनपर ।
हम सब के श्रद्धेय गुरूजी, शाश्वत-सत्य से वाकिफ -
ज्ञान लुटाएं राह दिखाएँ, करे निवेदन रविकर ।।
किसे सुनाऊँ नए तराने?कहाँ गये वो मीत पुराने।कहाँ गये वो मीत पुराने।
जवाब देंहटाएंकिसे सुनाऊँ नए तराने?
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।कहाँ गये वो मीत पुराने।
किसे सुनाऊँ नए तराने?
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
किसे सुनाऊँ नए तराने?
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
जीवन की आपाधापी में,कहाँ गये वो मीत पुराने।
किसे सुनाऊँ नए तराने?
जीवन की आपाधापी में,
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किसे सुनाऊँ नए तराने?
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
किसे सुनाऊँ नए तराने?आज
जीवन की आपाधापी में,आज
उलझ गए हैं ताने-बाने।।आज
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
कहाँ गये वो मीत पुराने।
जवाब देंहटाएंकिसे सुनाऊँ नए तराने?
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
आज तो आपने ज़िन्दगी की सच्चाइयों को बेहद खूबसूरती से उकेरा है सीधा दिल पर वार किया है आपकी रचना ने ………आभार्।
kripaya pahla comment hata dein wo main copy paste kar rahi thi to dikh hi nahi raha tha har bar blank page hi dikh raha tha magar publish karne par ho gaya .
जवाब देंहटाएंअब जब आपने कमेंट में कह ही दिया है तो हटाने से क्या फायदा?
हटाएंजीवन की सच्चाइयों को उकेरती सुंदर काव्यमयी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंHello you can add our blogs on your blog if you agree so please add our Rss on your blog
जवाब देंहटाएंसुंदर शब्द प्रवाह ...
जवाब देंहटाएंयादों ली ...एक टीस से भरी रचना ...!
बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंकिसको अपने गीत सुनाऊं
सारा जग बहरा लगता है,.....
बहुत बढ़िया दादू.....
जवाब देंहटाएंअब कैसे सुलझें.....????
इसी उधेड़-बुन में हैं...!!!
बहुत बढ़िया दादू.....
जवाब देंहटाएंअब कैसे सुलझें.....
इसी उधेड़-बुन में हैं...!!!
बहुत ही सुंदर शास्त्री जी..
जवाब देंहटाएंइस उलझन को धीरे धीरे हम सुलझाते जायें।
जवाब देंहटाएंपतंग सलोनी कट जाने पर,
जवाब देंहटाएंगिरी धरा पर चारों-खाने।
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
..sach uljhan ke taane-baane se nikalna behad mushkil kaam hai.. badiya sarthak yatharth prastuti..
bahut badhiya sarthak prastuti.
जवाब देंहटाएंयह चिंगारी मज़हब की.
मनुष्य-जीवन की यही कहानी है...बल्कि सच्चाई है!
जवाब देंहटाएंतराना अगर नया है तो वह पुराने लोगों को पसंद आने की संभावना कम है।
जवाब देंहटाएंकहाँ गए वो मीत पुराने ..किसे सुनाऊ नए तराने .... कितना कटु दर्द भरा सत्य है .. इसी कड़वाहट को पीते हुवे हमें जीना होता है ... यही मनुष्य जीवन की कहानी है...
जवाब देंहटाएंजीवन की आपाधापी में सब कुछ गुजर गया और जब बैठे फुरसत में तो ये याद आया और सबको साझी बना लिया . बहुत बड़ा और हर जीवन का सच यही है जिसे अपने अपनी कलम से कह दिया.
जवाब देंहटाएंभावों की बहती गंगा में,
जवाब देंहटाएंखोज रहा हूँ नये ठिकाने।
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
जीवन की एक कटु सच्चाई बयां करती बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
इस दुनिया की अजब कहानी,
जवाब देंहटाएंचार दिनों का खेल जवानी,
बचपन-यौवन और बुढ़ापा,
लगते हैं जाने-पहचाने।
जीवन की आपाधापी में,
उलझ गए हैं ताने-बाने।।
ये जीवन एक रिहर्सल है .एक नाटक है, एक प्रहसन ,है कभी कभी यह प्रकरी भी ,पर ,.न तेरा है न मेरा है ,सब चिड़िया रैन बसेरा है . बेहतरीनरी गीत सांगीतिक ध्वनी सौन्दर्य और नाद लिए .
जीवन की आपाधापी में सबकुछ छुटता जाता है ..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर बात ,बेहतरीन रचना...
बहुत प्रभावशाली रचना है और गेय भी.
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना!
जवाब देंहटाएंbahut he sundar prastuti sastri ji ,,,,
जवाब देंहटाएंhttp://jadibutishop.blogspot.com
बहुत खूब लिखा है इस रचना के लिए आभार
जवाब देंहटाएंबढिया प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंये उलझनें हर एक की ज़िंदगी मेन हैं और जीवन की आपाधापी में बहुत कुछ छूटता जाता है ॥सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंजीवन की आपाधापी में,
जवाब देंहटाएंउलझ गए हैं ताने-बाने।।
सच है !!
चार दिनों का खेल जवानी,
जवाब देंहटाएंबचपन-यौवन और बुढ़ापा,
लगते हैं जाने-पहचाने।
बहुत सुंदर .........
sundar panktiyan
जवाब देंहटाएं