लालू-ममता ने कभी, नहीं किया ये काम।१। रेल बजट इस साल में, लेकर आये दिनेश। ममता को भाया नहीं, उनका ये सन्देश।२। तलब किया दरबार में, दी कठोर फटकार। मन्त्री से पैदल किया, छीन लिया अधिकार।३। मुकुल राय को दे दिया, मन्त्रालय का भार। एक जरा सी चूक से, खिसक गया आधार।४। छीछालेदर हो रही, दिल्ली के दरबार। ममता जी के सामने, नतमस्तक सरकार।५। जनता की बाँछें खिली, आशा जगी ललाम। रेल किराये के बढ़े, वापिस होंगे दाम।६। |
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गुरुवार, 15 मार्च 2012
"रेल किराये के बढ़े, वापिस होंगे दाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह सर...
जवाब देंहटाएंसामायिक दोहे...
बहुत खूब कहे..
सादर.
देखो कैसे चल रही दिल्ली की सरकार ,
जवाब देंहटाएंघुटने टूटे घायल चेहरा ,मरने की दरकार .
टूटे घुटने जख्मी चेहरा ,गिरने को तैयार ,
देखें सांसद खूब तमाशा ;
ये भारत सरकार .,अरे भाई इसकी जय जैकार ,करो भाई इसकी जैजैकार .
बोलो भाई इसकी जय जय कार .
अरे वाह ..शास्त्री जी ..अद्भुत ..इस प्रकरण पर आपके दोहे ...बहुत खूब ...आज रामायण से दोहे आज के सन्दर्भ में... बहुत खूब
जवाब देंहटाएंसामायिक ।
जवाब देंहटाएंसटीक ।।
क्या बढ़िया दोहे है....बार पढ़ने पर भी मन नहीं भरता!
जवाब देंहटाएंसामायिक दोहे...सटीक !!
जवाब देंहटाएंदेखो हुवा रिवर्स गेयर वापिस होंगे रेलकिराये के दाम
जवाब देंहटाएंक्यों ना रेल का हो जाए भैया सारा काम तमाम
देश जाए भांड में, इनको चाहिए केवल सत्ता
अर्थव्यवस्था चाहे हो चौपट,हो चौपट चाहे गुणवत्ता
BAHUT KHOOB .AABHAR
जवाब देंहटाएंअच्छा बजट है.
जवाब देंहटाएंसामायिक और सटीक दोहे लिखने में आपका जबाब नही,शास्त्री जी बधाई.....
जवाब देंहटाएंबहुत दुरस्त फरमाया आपने !
जवाब देंहटाएंbahut saarthak saamayik dohe.
जवाब देंहटाएंhttp://www.ashokbajajcg.com/2012/03/blog-post_16.html
जवाब देंहटाएंमन की आँखों से ढूंढ लिया ललाट
बहुत खूब....
जवाब देंहटाएंरेल किराये में कभी, नहीं बढाए दाम।
जवाब देंहटाएंलालू-ममता ने कभी, नहीं किया ये काम।१।
बहुत ही अच्छा लिखा है ..
बात किराये की है या राजनीति की , सब घालमेल सा लग रहा है ...
जवाब देंहटाएंसामयिक मुद्दों पर अच्छी कविता !
बहुत सार्थक दोहे ...सटीक व्यंग है
जवाब देंहटाएं