जब ग़म के बादल घिरते हैं, पलकों से झरने झरते हैं। कुछ खारा जल बह जाने पर, निर्मल सा अनुभव करते हैं।। सागर गहराई रखता है, सबकी वो पीर समाये है। अपने मन के अनुभावों को, अन्तस् में स्वयं छुपाये है। गम्भीर-धीर गुणवाले ही, जीवन में खरे उतरते हैं। कुछ खारा जल बह जाने पर, निर्मल सा अनुभव करते हैं।। जो केवल अमृत पान करे, वो देवों का पद पाता है। लेकिन जो गरलपान करता, वो महादेव बन जाता है। जिसमें सारे गुण होते हैं, उस सत्ता से सब डरते हैं। कुछ खारा जल बह जाने पर, निर्मल सा अनुभव करते हैं।। लगते ही ठेस चटक जाता, दिल शीशा जैसा होता है। नाज़ुक होकर भी है कठोर, पाषाण नहीं वो होता है। मन सरल-तरल सा सोता है, जिसमें सब गगरी भरते हैं। कुछ खारा जल बह जाने पर, निर्मल सा अनुभव करते हैं।। |
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बुधवार, 21 मार्च 2012
"पलकों से झरने झरते हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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धारा-प्रवाह गुरु गाते हैं ,
जवाब देंहटाएंसस्नेह अर्थ समझाते हैं ।
सुख में तो सब जी लेते
दुःख में वे राह दिखाते हैं ।
गंभीर धीर गुणवान प्रभु-
अनुभव को शीश झुकाते हैं ।
दुःख का गरल पियो ऐसे-
हटाएंशिव-शंकर ज्यों पी जाते हैं ।।
दुःख का विष-गरल पियो ऐसे-
हटाएंशिव-शंकर ज्यों पी जाते हैं ।।
bahut achchi behtreen kavita.
जवाब देंहटाएंमन सरल-तरल सा सोता है,
जवाब देंहटाएंजिसमें सब गगरी भरते हैं।
कुछ खारा जल बह जाने पर,
निर्मल सा अनुभव करते हैं।।
बहुत सुन्दर
सादर.
अत्यंत सुन्दर गीत सर...
जवाब देंहटाएंसादर.
सुन्दर गीत.
जवाब देंहटाएंbahut sunder hai ye geet.
जवाब देंहटाएंकुछ खारा जल बह जाने पर,
जवाब देंहटाएंनिर्मल सा अनुभव करते हैं।।..बहुत सुन्दर...
बहुत सुंदर,......
जवाब देंहटाएंmy resent post
काव्यान्जलि ...: अभिनन्दन पत्र............ ५० वीं पोस्ट.
इस कविता में हमने पाई आधुनिकता के साथ साथ सांस्कृतिक परंपरा की झलक।
जवाब देंहटाएंकुछ खारा जल बह जाने पर,
जवाब देंहटाएंनिर्मल सा अनुभव करते हैं।।
शब्दशः सही .....
सुंदर रचना ...
आपकी पोस्ट कल 22/3/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
जवाब देंहटाएंकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा - 826:चर्चाकार-दिलबाग विर्क
आँसू जीवन का क्षार बहा ले जाते हैं।
जवाब देंहटाएंसरल प्रवाह और तारल्य का दूसरा नाम है शाष्त्री जी .बधाई इस लेखन को .शीश नमन .
जवाब देंहटाएंआपने मेरे मन की बात इस कविता/गीत के माध्यम से कह दी. धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंआँखों से झरने बहते है...कुछ खारा जल बह जाता है...खुबसूरत कविता है...
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढ़िया भाव संयोजन के साथ सार्थक प्रस्तुति......
जवाब देंहटाएंbadhiya Daadu...!
जवाब देंहटाएंbahut bahut hi shnnandaar p[rastuti ----sir
जवाब देंहटाएंkai bhavon ko apne me sanjoye huye yah kavita mujhe bahut bahut hi achhi lagi----
poonam
sundar rachna likhi hai guru jee....
जवाब देंहटाएंthanks template change karne ke liye ab theek khul rahee hai!
वाह बहुत खूब
जवाब देंहटाएंआँसू का आँखों से नाता ...युग कालीन हैं ...कभी ना खत्म होने वाला
man anthkaran ko nirmal kar gaye boss.....
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