गांधी जी के नाम को, भुना रहे हैं लोग।
गांधी के ही नाम से, चला रहे उद्योग।७।
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प्रेरक दोहे
जवाब देंहटाएंवर्तमान को स्पष्ट करती सटीक परिस्थितियाँ।
जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सही बात कही है आपने .सार्थक भावपूर्ण अभिव्यक्ति बधाई फाँसी :पूर्ण समाधान नहीं
जवाब देंहटाएंशुक्रिया आपकी सद्य टिप्पणियों का .सादर .
जवाब देंहटाएंनंगापन फैशन बना, इससे रहना दूर।
क्षणिक वासना के लिए, मत होना मजबूर।४।
महिलाएँ कर चाकरी, हो जाती बदनाम।
भड़कीली पौशाक में, करती काम तमाम।५।
जिसमें हो शालीनता, पहनो वो परिधान।
सीमित हो व्यव्हार तो, बना रहे सम्मान।६।
दोहावली अच्छी है लेकिन प्रस्तावना से आपकी विमत .
सारी शालीनता औरत के लिए आदमी वैचारिक स्तर पर लम्पट रहे .परिधान की आड़ लेके बलात्कृत करे पेशीय बलहीनाओं को ? परिधान तो द्वापर में चोली अंगरखा था ........क्या गोपिकाएं कृष्ण को आमंत्रित करती थीं ?
ram ram bhai
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बृहस्पतिवार, 20 दिसम्बर 2012
Rapist not mentally ill ,feel they can get away'
'Rapist not mentally ill ,feel they can get away'
माहिरों के अनुसार बलात्कारी शातिर बदमॉस होतें हैं जो सोचते हैं उनका कोई क्या बिगाड़ सकता है वह साफ़
बच
निकलेंगें .इस नपुंसक व्यवस्था के हाथ उस तक नहीं पहुँच सकते .
तस्दीक की जानी चाहिए यह बात कि बलात्कार एक इरादतन अदबदाकर किया गया हिंसात्मक व्यवहार है
,जिसका मकसद बलात्कृत को न सिर्फ चोट पहुंचाना है उसकी आत्मा को भी कुचलना है ,नीचा दिखाना है
.सबक सिखाना है .बलात्कारी अनुचित रूप से शिकार बनाता है उत्पीड़ित महिला को ,युवती को .
न तो यह अपराध तत्व मनोवैज्ञानिक समस्याओं से ग्रस्त रहतें हैं न किसी किस्म के व्यक्तित्व विकार से सारा
फंडा इनके दिमाग में यह रहता है :बच निकलेंगे हम तो हमारा कोई क्या बिगाड़ सकता है .
उत्तरी अमरीका और दक्षिण अफ्रिका में किये गए ऐसे अध्ययनों से जो बलात्कारियों के बारे में ज्यादा से
ज्यादा जानकारी देतें हैं जिनके तहत इन अपराध तत्वों की Psychological profiling जुटाई गई है ,पता चला है
,संभवतया बाल्यकाल में इनका खुद का साबका हिंसात्मक व्यवहार से पड़ा है .बदसुलूकी हुई है इनके साथ
परवरिश के शुरूआती बरसों में .
तिहाड़ जेल के 242 अपराध तत्वों पर संपन्न एक पांच साला अध्ययन से पता चला है,इनमें से 70%लोग लौट
लौट कर बारहा ऐसे ही अपराध करते आयें हैं ,बच निकलते रहें हैं हर बलात्कार के बाद . औरत पर हमला करते
वक्त यह आत्मविश्वास से भरे होते हैं .पूरा भरोसा होता है इन्हें अपने दुष्कार्य (धतकर्म )की सफलता का .
कमसे कम चार मर्तबा या और भी ज्यादा बार ऐसा धत कर्म ये लोग पकड़े जाने से पूर्व औसतन कर चुके थे .
दिल्ली मनोरोग केंद्र के माहिर डॉ .सुनील मित्तल के अनुसार बलात्कारी विकृत मानसिकता के लोग होतें हैं
बलात्कार करके साफ़ बच निकलना इनके आनंद का उत्कर्ष होता है .दुष्कर्म में लीन रहतें हैं ये लोग .उद्दंडता
पूर्वक दुष्कर्म करके बच निकलने पर यह गुरूर करते हैं .
हिंसा और यौन की दुरभिसंधि इन्हें अतिरिक्त रोमांच और उत्तेजना से भर देती है .ऐसा चित्त होता है इन
बहरूपियों का .
यौन प्रहार करके यह खुद को यौन बहादुर मान लेते हैं .ताकत और मद का प्रतीक समझ बैठते हैं .
शायद सामान्य यौन सम्बन्ध बना ही नहीं पाते ये लोग . यही मानना है डॉ .मित्तल का .
नेशनल इंस्टिट्यूट आफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरोसाइंसिज़ (NIMHANS)के प्रोफ़ेसर डॉ .बी .एन .गंगाधर कहतें हैं :
"I am against using psychological or sociological labels for rapists .There is nothing psychiatric about
a rapist .In fact ,a person with a psychiatric illness will never commit a rape .It is clearly a criminal
mind that has decided to gratify oneself despite the norms of society."
मनोरोगों से ग्रस्त नहीं रहतें हैं ये अपराधी तत्व .मनोरोगी कभी यह धतकर्म नहीं करेगा .कभी किसी की
आत्मा का हनन नहीं करेगा .
प्रसन्नता और संतोष प्राप्त करतें हैं ये अपराधी अपने शिकार को सताकर ,अपमानित कर .
महिलाओं के खिलाफ हिंसा ,यौन हिंसा का बढ़ता रुझान हमारे समाज की
एक वृहत्तर समस्या बन रहा है
"India suffers from chronic disaster syndrome .There are rising costs of living ,insecurity at the
workplace ,loss of faith in the system ,but at the same time one sees famous personalities getting away
big crimes .For instance , a minister who resigns over a scam comes back unscathed ."
He felt people get under the delusion of a new reality that they can commit a crime and get away with
it .
"A MALNOURISHED BODY GETS ATTACKED BY VARIOUS MICROBES.SIMILARLY ,A
SOCIETY THAT IS MALNOURISHED WILL SEE RISE IN SUCH CRIMES AGAINST
WOMEN,"HE SAID.
उक्त उत्तेजक विचार जो आपको भी आलोड़ित किये बिना नहीं रहेंगे मुंबई के मनोरोग विद डॉ .एच शेट्टी के हैं .
जब तक तिहाड़ी लाल संसद की शोभा बढ़ाते रहेंगें ,संसद बे -आंच ,बे -आब रहेगी ऐसा ही होता रहेगा ऐसा हमारा
भी मानना है आप अपनी राय बतलाएं .
देखिये ये हाल है उस बे -कसूर भारत की लाडली का जो ज़िंदा रहना चाहती
है :
बर्तमान को दर्शाता सटीक रचना,,,,
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब
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