सियासत
में विरासत का, चला है दौर ये कैसा
इबारत
में बनावट का, चला है दौर ये कैसा
जहाँ
लाचार हो जनता, जहाँ मजदूर हों घायल,
खनक
कैसे सुनायेगी, दुल्हन के पाँव की पायल,
नफासत
में हिदायत का, चला है दौर ये कैसा
लिखाकर
अपनी मर्जी का, दबाया पात्र भूतल में,
मगर
अब लौह की नौका, लगी है डूबने जल में,
लिखावट
में मिलावट का, चला है दौर ये कैसा
ख़ज़ाना
कर दिया खाली, भरी अपनी तिजोरी है,
हमारे
तो वतन में अब, पनपती घूसखोरी है,
अमानत
में खयानत का, चला है दौर ये कैसा
भिखारी
हो गये राजा, हमारे वोट को पाकर,
बुलाये
वणिक परदेशी, कमीशन की रकम खाकर,
सराफत
में हिमाकत का, चला है दौर ये कैसा
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मंगलवार, 16 जुलाई 2013
"चला है दौर ये कैसा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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हर वर्ग का दर्द
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
मुश्किल समय से गुजर रहे हैं हम
जवाब देंहटाएंख़ज़ाना कर दिया खाली, भरी अपनी तिजोरी है,
जवाब देंहटाएंहमारे तो वतन में अब, पनपती घूसखोरी है,
अमानत में खयानत का, चला है दौर ये कैसा !
बहुत सटीक कहा शास्त्री जी
यह सब देशवासियों की ही बेवकूफी की वजह से !
बहुत सटीक बात.
जवाब देंहटाएंरामराम.
बहित सुन्दर प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंlatest post सुख -दुःख
बहुत उम्दा,सुंदर सटीक सृजन,,,वाह!!!वाह क्या बात है,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST : अभी भी आशा है,
ये दौर तो कब से ऐसा ही चला आ रहा है ...बदलाव हुआ कहाँ अभी
जवाब देंहटाएंbahut sundar prastuti ..
जवाब देंहटाएंसुंदर सटीक प्रस्तुति !...आभार
जवाब देंहटाएंलूट, मिली है छूट,
जवाब देंहटाएंचलो हम बैंक भरेंगे,
बाट लगायें कूट,
कहाँ से हम सुधरेंगे।
बहित सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहित सुन्दर प्रस्तुति
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