गलती करना और पछताना, आदत है इन्सानों की।
गलती पर गलती करना तो, आदत है हैवानों की।। दर्द पराया अपने दिल में, जिस आदम ने पाला है, उसके जीने का तो बिल्कुल ही अन्दाज़ निराला है, शम्मा पर जल कर मर जाना, चाहत है परवानों की। गलती पर गलती करना तो, आदत है हैवानों की।। मित्र-पड़ोसी के अन्तस् में, जब तक पलती दूरी हैं, तब तक रहती मित्र भावना की कल्पना अधूरी हैं, बेदिल वालों की दुनिया में, दुर्गत है अरमानों की। गलती पर गलती करना तो, आदत है हैवानों की।। खाया नमक देश का लेकिन नमक हलाली भूल गये, अन्धे होकर दहशतगर्दों के हाथों में झूल गये, दुनिया में दहशत फैलाना, फितरत है शैतानों की। गलती पर गलती करना तो, आदत है हैवानों की।। |
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जानबूझ कर गलती करने वालों को यथानुसार दण्डित भी किया जाये।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ....
जवाब देंहटाएंप्राञ्जल पोस्ट । सुंदर संग्रहणीय ।
जवाब देंहटाएंक्या कहने...बहुत बढ़िया...
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !सुन्दर रचना !
जवाब देंहटाएंlatest postअनुभूति : वर्षा ऋतु
latest दिल के टुकड़े
बेहतरीन लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम.
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।
जवाब देंहटाएंदर्द पराया अपने दिल में, जिस आदम ने पाला है,
जवाब देंहटाएंउसके जीने का तो बिल्कुल ही अन्दाज़ निराला है,
शम्मा पर जल कर मर जाना, चाहत है परवानों की।
गलती पर गलती करना तो, आदत है हैवानों की।।
बहुत सुन्दर ! अफ़सोस कि ये हैवान अपनी हैवानियत को अंजाम देने के बाद दुनियाभर के झूठ भी बोलते है !
बहुत बढ़िया चित्र को परिभाषित करती हुई प्रस्तुति बधाई आपको ,एक महीने बाद मिलती हूँ काश्मीर जा रही हूँ शुभ विदा
जवाब देंहटाएंखूबसूरत , उत्तम प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति....
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