ज़िन्दगी हमारे लिए
आज भार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
हादसे सबल हुए हैं गाँव-गली-राह में खून से सनी हुई छुरी छिपी हैं बाँह में मौत ज़िन्दगी की रेल में सवार हो गई! मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
भागने की होड़ में
उखाड़ है-पछाड़ है
आज जोड़-तोड़ में
अजीब छेड़-छाड़ है
जीतने की चाह में
करारी हार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
चीत्कार काँव-काँव छल रही हैं धूप-छाँव आदमी के ठाँव-ठाँव चल रहे हैं पेंच-दाँव सभ्यता के हाथ सभ्यता शिकार हो गई! मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

सशक्त पंक्तियाँ..
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
हटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (26-06-2013) के .१२९५ ....... जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1288 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
बढ़िया बात-
जवाब देंहटाएंभाव विभोर करती रचना
आभार गुरु जी-
सभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई...
आज के दौर की भयावह सच्चाई से रूबरू कराती इस उत्कृष्ट कविता को हमसे साझा करने के लिए आपको सादर नमन!
गुरु जी को प्रणाम
जवाब देंहटाएंआपकी रचना कल बुधवार [03-07-2013] को
ब्लॉग प्रसारण पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया
बहुत सटीक.
जवाब देंहटाएंरामराम.
सुंदर सृजन,सशक्त प्रस्तुति,,,
जवाब देंहटाएंRECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.
सभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!!
सारा सच बयाँ कर दिया
सभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई!
मनुजता की चूनरी तो
तार-तार हो गई!! सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंसुंदर प्रस्तुति...
मुझे आप को सुचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी का लिंक 05-07-2013 यानी आने वाले शुकरवार की नई पुरानी हलचल पर भी है...
आप भी इस हलचल में शामिल होकर इस की शोभा बढ़ाएं तथा इसमें शामिल पोस्ट पर नजर डालें और नयी पुरानी हलचल को समृद्ध बनाएं.... आपकी एक टिप्पणी हलचल में शामिल पोस्ट्स को आकर्षण प्रदान और रचनाकारोम का मनोबल बढ़ाएगी...
मिलते हैं फिर शुकरवार को आप की इस रचना के साथ।
जय हिंद जय भारत...
मन का मंथन... मेरे विचारों कादर्पण...
बहुत सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
amazing lines guru jee
जवाब देंहटाएंmeri nayi post par aapka swaagat hai...
http://raaz-o-niyaaz.blogspot.com/2013/07/blog-post.html
aaj ke sandarbh me satik baithta hai...
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर प्रस्तुतीकरण ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (03-07-2013) के .. जीवन के भिन्न भिन्न रूप ..... तुझ पर ही वारेंगे हम .!! चर्चा मंच अंक-1295 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
मनुजता की चूनरी तो
जवाब देंहटाएंतार-तार हो गई!! ...बहुत सुन्दर भाव आभार
आज के यथार्थ को सच्चाई से बयान करती सशक्त प्रस्तुति ! बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंसभ्यता के हाथ
जवाब देंहटाएंसभ्यता शिकार हो गई!
सशक्त प्रस्तुति
चुनरी तो तार तार हो गयी ..
जवाब देंहटाएंप्रणाम आपको !
जवाब देंहटाएंजीतने की चाह में
करारी हार हो गई!
...बहुत सुन्दर और सटीक अभिव्यक्ति...
मानवता को शर्मसार करती घटनाओं से उपजी सटीक बयानी करती कविता !
जवाब देंहटाएं