दीप खुशियों के जलाओ, आ रही दीपावली।
रौशनी से जगमगाती, भा रही दीपावली।।
क्या करेगा तम वहाँ, होंगे अगर नन्हें दिये,
चाँद-तारों को करीने से, अगर रौशन किये,
हार जायेगी अमावस, छा रही दीपावली।
नित्य घर में नेह के, दीपक जलाना चाहिए,
उत्सवों को हर्ष से, हमको मनाना चाहिए,
पथ हमें प्रकाश का, दिखला रही दीपावली।
शायरों को शम्मा से, कवियों को दीपक से लगाव,
महकते मिष्ठान से, होता सभी को है लगाव,
गीत-ग़ज़लों का तराना, गा रही दीपावली।
गजानन के साथ, लक्ष्मी-शारदा की वन्दना,
देवताओं के लिए अब, द्वार करना बन्द ना,
मन्त्र को उत्कर्ष के, सिखला रही दीपावली।
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रविवार, 3 नवंबर 2013
"1901वाँ पुष्प-आज हारी है अमावस" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सुंदर रचना.
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं.
रामराम.
1901 वें सुंदर पुष्प की बधाई !
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ !
काश
जवाब देंहटाएंजला पाती एक दीप ऐसा
जो सबका विवेक हो जाता रौशन
और
सार्थकता पा जाता दीपोत्सव
दीपपर्व सभी के लिये मंगलमय हो …
क्या बात! वाह! फिर आई दीवाली
जवाब देंहटाएंआपको दीपावली की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं
दीपावली की हार्दिक मंगल कामनाएं
जवाब देंहटाएंपाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
जवाब देंहटाएंवली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
गावदी = मूर्ख / अबोध
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट आओ हम दीवाली मनाएं!
गजानन के साथ, लक्ष्मी-शारदा की वन्दना,
जवाब देंहटाएंदेवताओं के लिए अब, द्वार करना बन्द ना,
मन्त्र को उत्कर्ष के, सिखला रही दीपावली।
दीप शुभ भावना के जगा रही दीपावली। सुंदर रचना।
नमस्कार !
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [4.11.2013]
चर्चामंच 1419 पर
कृपया पधार कर अनुग्रहित करें |
सादर
सरिता भाटिया