नेह अगर होगा खुश होकर दीपक जलते जाएँगे।
धरती पर फैला सारा अँधियारा हरते जाएँगे।।
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सुमन-सुमन से मिलकर, जब घर-आँगन में मुस्काएँगे,
सूनी-वीरानी बगिया में, फिर से गुल खिल जाएँगे,
फड़-फड़ करती तितली, भँवरे गुंजन करते आयेंगे।
धरती पर फैला सारा अँधियारा हरते जाएँगे।।
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देवताओं का वन्दन होगा, धूप सुगन्धित सुलगेगी,
जननी-जन्मभूमि का हम आराधन करते जाएँगे।
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महफिल में शम्मा होगी तो, सुर की धारा निकलेगी,
विरह सुखद संयोग बनेगा, जमी पीर सब पिघलेगी.
उर के सारे जख़्म पुराने, प्रतिपल भरते जाएँगे।
धरती पर फैला सारा अँधियारा हरते जाएँगे।।
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बहुत सुंदर रचना "धरती से अँधियारा हरते जायेंगें"
जवाब देंहटाएंदीपावली की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं
बहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंदीपपर्व मंगलमय हो !
आभार !
बहुत सुन्दर.. आप को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंपाव पाव दीपावली, शुभकामना अनेक |
जवाब देंहटाएंवली-वलीमुख अवध में, सबके प्रभु तो एक |
सब के प्रभु तो एक, उन्हीं का चलता सिक्का |
कई पावली किन्तु, स्वयं को कहते इक्का |
जाओ उनसे चेत, बनो मत मूर्ख गावदी |
रविकर दिया सँदेश, मिठाई पाव पाव दी ||
वली-वलीमुख = राम जी / हनुमान जी
पावली=चवन्नी
दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंदीपक-बाती स्नेह स्नेहभरी जब, लौ उजास की उगलेगी,
जवाब देंहटाएंदेवताओं का वन्दन होगा, धूप सुगन्धित सुलगेगी,
जननी-जन्मभूमि का हम आराधन करते जाएँगे।
धरती पर फैला सारा अँधियारा हरते जाएँगे।।
स्नेह संस्कृति के सब रंग लिए आई दिवाली। यही इस रचना का सन्देश है।