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जो मन में हो आपके, लिखो उसी पर लेख।
बिना छंद तुकबन्दियाँ, बन जाती आलेख।१।
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मन पंछी उन्मुक्त है, इसकी बात न मान।
जीवन एक यथार्थ है, इसको लेना जान।२।
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रवि की किरणें दे रहीं, जग को जीवन दान।
पाकर धवल प्रकाश को, मिल जाता गुण-ज्ञान।३।
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श्रीकृष्ण ने कर दिया, माँ का ऊँचा भाल।
सेवा करके गाय की, कहलाये गोपाल।४।
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जीवन इक त्यौहार है, जानो इसका सार।
प्यार और मनुहार से, बाँटो कुछ उपहार।५।
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तम हरने के वास्ते, खुद को रहा जलाय।
दीपक काली रात को, आलोकित कर जाय।६।
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अमर शहीदों का कभी, मत करना अपमान।
किया इन्होंने देशहित, अपना तन बलिदान।७।
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बिल्ले रखवाली करें, गूँगे राग सुनाय।
अब तो अपने देश में, अन्धे राह बताय।८।
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सूखे रेगिस्तान में, जल नहीं हासिल होय।
ख्वाबों के संसार में, जीना दूभर होय।९।
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छात्र और शिक्षक जहाँ, करते उलटे काज।
फिर कैसे बन पायेगा, उन्नत देश-समाज।१०।
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गुलदस्ते में अमन के, अमन हो गया गोल।
कौन हमारे चमन में, छिड़क रहा विषघोल।११।
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जवाब देंहटाएंखाली खाली अन कोष, भरा भरा दिखलाए ।
तिनते राम बचाए जो, धरा खोद के खाए ।९५४।
भावार्थ : -- देश का अन्न कोष रिक्त है और उसे भरा पूरा दिखा रहें है । ऐसे दुर्जनों से तो राम ही बचाए जो धरती खोद के खा रहे हैं ॥
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (08-11-2013) को "चर्चा मंचः अंक -1423" पर लिंक की गयी है,कृपया पधारे.वहाँ आपका स्वागत है.
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहावली-
जवाब देंहटाएंआभार गुरु जी-
बहुत सुंदर एक से बढ़कर एक !
जवाब देंहटाएंसभी दोहे एक से बढ़कर एक | आभार |
जवाब देंहटाएंwaah ....
जवाब देंहटाएंसार्थक सौद्देश्य दोहावली इसे सभी पूरा पढ़के लुत्फ़ उठाएं -
जवाब देंहटाएंजीवन के हर पक्ष को खंगालते दुलराते दोहे।
सार्थक संदेशात्मक दोहावली
जवाब देंहटाएंबधाई गुरुदेव
बहुत ही सुंदर.
जवाब देंहटाएंरामराम.
खूबसूरत दोहे...
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