भइया दूज के पावन अवसर पर अपना एक पुराना गीत प्रस्तुत कर रहा हूँ! |
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रोशनी से भरे दीप जलते रहें,
जवाब देंहटाएंनेह के सिन्धु नयनों में पलते रहें,
आज बहनों की हैं ये ही आराधना।
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
बहुत सुंदर भाव.
बहुत प्यारी कविता..
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना | भाई दूज की शुभकामनायें |
जवाब देंहटाएंक्या बात है शास्त्री जी,
जवाब देंहटाएंकितनी सुन्दर भावना।
शुभ भाव से प्रेरित सुन्दर सरल मांगलिक रचना उत्सव सप्ताह की वेला में।
जवाब देंहटाएंथालियाँ रोली चन्दन की सजती रहें,
सुख की शहनाइयाँ रोज बजती रहें,
हों सफल भाइयों की सभी साधना।
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
मयंक कौना का एक कौना हमें बनाने के लिए शुक्रिया आदरणीय शास्त्री जी का।
रोशनी से भरे दीप जलते रहें,
जवाब देंहटाएंनेह के सिन्धु नयनों में पलते रहें,
आज बहनों की हैं ये ही आराधना।
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
रोशनी से भरे दीप जलते रहें,
जवाब देंहटाएंनेह के सिन्धु नयनों में पलते रहें,
आज बहनों की हैं ये ही आराधना।
दूज के इस तिलक में यही भावना।।
भावनाओं का अनुपम संयोजन ....
भाई दूज की शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना हमेशा की तरह !
बहुत उम्दा गीत , आपको शुभकामनायें ..
जवाब देंहटाएंजब सब रिस्ते तार-तार हो रहे हैं .. इस बीच भाई-बहन का प्यार ज़िंदा है
जवाब देंहटाएंछठ पर्व की पावन बधाई