गौरय्या का नीड़, चील-कौओं
ने हथियाया है
हलो-हाय का पाठ हमारे बच्चों को सिखलाया है
जाल बिछाया अपना छीनी है, हिन्दी की
बिन्दी भी
अपने घर में हुई परायी, अपनी भाषा हिन्दी भी
खोटे सिक्के से लोगों के मन को बहलाया है
हिन्दीभाषा से हमने, भारत स्वाधीन कराया था
हिन्दी में भाषण करके, सत्ता का आसन पाया था
लेकिन गद्दी पाते ही उस हिन्दी को बिसराया है
चीन और जापान आज भाषा के बल पर आगे हैं
किन्तु हमारे खेवनहारे नहीं नींद से जागे हैं
अन्न देश का खाकर हमने, राग विदेशी गाया है
विश्वपटल पर कैसे होगी, अब पहचान हमारी
वाणी क्यों हो गयी विदेशी, ऐसी क्या है लाचारी
पुरखों के गौरव-गुमान पर भी संकट गहराया है
हुक्मरान हिन्दी के दिन को, हिन्दी-डे बतलायें जब
उन गूँगे-बहरों को अपनी, कैसे व्यथा सुनायें अब
हलवा-पूड़ी व्यञ्जन छोड़े, पिज्जा-बर्गर खाया है
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गुरुवार, 19 सितंबर 2019
गीत "छीनी है हिन्दी की बिन्दी" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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वाह बेहतरीन रचनाओं का संगम।एक से बढ़कर एक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंBhojpuri Song Download
Bahut badhiya , hindi ki vytha
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