कोरोना के
रोग से, जूझ रहा है देश।
अगर
सुरक्षित आप हैं, बचा रहेगा देश।।
आवश्यकता
से अधिक. करना नहीं निवेश।
हम सबके
सहयोग से, सुधरेगा परिवेश।।
कमी नहीं
कुछ देश में, सुलभ सभी हैं चीज।
मगर नहीं
लाँघो अभी, निज घर की दहलीज।।
विपदा के इस
काल में, शासन है तैयार।
हर घर पर
सामान को, भेजेगी सरकार।।
साबुन से धो
लीजिए, हर घण्टे निज हाथ।
तुलसी और
गिलोय का, पीना प्रतिदिन क्वाथ।।
साथ-साथ
मिलकर नहीं, करना क्रिया कलाप।
कोरोना के
दैत्य को, हरा दीजिए आप।।
नकारात्मक
सोच से, नहीं चलेगा काम।
अफवाहों को
दीजिए, पूरा आज विराम।।
अपने भारत
में रहें, सारे लोग निरोग।
हर हालत
में कीजिए, शासन का सहयोग।।
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
शुक्रवार, 27 मार्च 2020
दोहे "कोरोना के रोग से, जूझ रहा है देश" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
-
सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
अपने भारत में रहें, सारे लोग निरोग।
जवाब देंहटाएंहर हालत में कीजिए, शासन का सहयोग।।
अति उत्तम संदेश आदरणीय ।
ऐसे संकट के समय में भी कुछ नासमझ विपदा बढ़ाने का, जाने-अनजाने कारण बन रहे हैं
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक कीचर्चा शनिवार(२८-०३-२०२०) को "विश्व रंगमंच दिवस-रंग-मंच है जिन्दगी"( चर्चाअंक -३६५४) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
सटीक और सामयिक रचना
जवाब देंहटाएं