--
सेवा का व्रत धार लिया है।
मानवता से प्यार किया है।।
--
रंग बहुत थे ढंग बहुत थे,
कभी न उल्टा पथ अपनाया,
जिसको अपना मीत बनाया,
उसका पूरा साथ निभाया,
हमने सूई-धागा लेकर,
बैरी का भी वक्ष सिया है।
मानवता से प्यार किया है।।
--
झंझावातों के दलदल में,
कभी किसी का हाथ न छोड़ा, शरणागत को गले लगाया, मर्यादा का साथ न तोड़ा, अमृत रहे बाँटते जग को, हमने केवल गरल पिया है। मानवता से प्यार किया है।। -- अपनी झोली में से हम तो, सच्चे मोती बाँट रहे है, बैर-भाव की खाई को हम, प्रेम-प्रीत से पाट रहे हैं, सन्तो ने जो सिखलाया है, जग को वो उपहार दिया है। मानवता से प्यार किया है।।
--
|
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |

जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार(२९-०३-२०२०) को शब्द-सृजन-१४"मानवता "( चर्चाअंक - ३६५५) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत सुंदर रचना।
जवाब देंहटाएंसन्तो ने जो सिखलाया है,
जवाब देंहटाएंजग को वो उपहार दिया है।
मानवता से प्यार किया है।।
बहुत खूब ! अत्यंत सुन्दर !
मानवता को समर्पित बहुत ही सुंदर रचना सर ,सादर नमन
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना ।माववता के लिए सुंदर गीत सर !सादर नमन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं