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खेत और खलिहान में, दूषित हुआ अनाज।
लुप्तप्राय सी हो गयी, गौरैया है आज।।
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शहरी जीवन में नहीं, रहा आज आनन्द।
गौरैया को है नहीं, वातावरण पसन्द।।
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मौसम मेरे देश के, हुए आज
विकराल।
गौरैया का गाँव में, पड़ने
लगा अकाल।।
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लगे डालने खेत में, खाद
विषैली लोग।
इसीलिए फैले हुए, भाँति-भाँति
का रोग।।
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जहरीला खाना हुआ, जहरीला
है नीर।
देश और परिवेश की, हालत है
गम्भीर।।
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पेड़ काटता जा रहा, धरती का
इंसान।
इसीलिए आने लगे, चक्रवात-तूफान।।
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नंगे होते जा रहे, हरे-भरे
अब शैल।
पावन गंगा नीर में, बहता है
अब मैल।।
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आबादी बढ़ने लगी, सीमित
हुई जमीन।
रोजगार कैसे मिलें, करती
काम मशीन।।
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शुक्रवार, 20 मार्च 2020
दोहे "विश्व गौरैया दिवस" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
गौरैया की चहचहाहट अब अतीत की बात बनती जा रही है, सामयिक रचना !
जवाब देंहटाएंबेहतरीन सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सामयिक रचना
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंजी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक कीचर्चा शनिवार(२१-०३-२०२०) को "विश्व गौरैया दिवस"( चर्चाअंक -३६४७ ) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत उम्दा.
जवाब देंहटाएंबढ़िया दोहे
जवाब देंहटाएंगौरैया दिवस पर लाजवाब दोहे।
जवाब देंहटाएंगौरैया को समर्पित बहुत ही सुंदर रचना ,सादर नमन सर
जवाब देंहटाएंसामायिक समस्या पर ध्यान आकर्षित करते सुंदर दोहे।
जवाब देंहटाएंलाजवाब सृजन ।
जवाब देंहटाएं