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मस्त फुहारें लेकर आया,
मौसम हँसी-ठिठोली का।
देख तमाशा होली का।।
उड़ रहे पीले-हरे गुलाल,
हुआ है धरती-अम्बर लाल,
भरे गुझिया-मठरी के थाल,
चमकते रंग-बिरंगे गाल,
गोप-गोपियाँ खेल रहे हैं,
खेला आँख-मिचौली का।
देख तमाशा होली का।।
मस्त फुहारें लेकर आया,
मौसम हँसी-ठिठोली का।
देख तमाशा होली का।।
पिचकारी बच्चों के कर में,
हुल्लड़ मचा हुआ घर-घर में,
हुलियारे हैं गली-डगर में,
प्यार बसा हर जिगर-नजर में,
चारों ओर नजारा पसरा,
फागुन की रंगोली का।
देख तमाशा होली का।।
मस्त फुहारें लेकर आया,
मौसम हँसी-ठिठोली का।
देख तमाशा होली का।।
डाली-डाली है गदराई,
बागों में छाई अमराई,
गुलशन में कलियाँ मुस्काई,
रंग-बिरंगी तितली आई,
कानों को अच्छा लगता सुर,
कोयलिया की बोली का।
देख तमाशा होली का।।
मस्त फुहारें लेकर आया,
मौसम हँसी-ठिठोली का।
देख तमाशा होली का।।
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गीत प्यार का आओ गाएँ,
मीत हमारे सब बन जाएँ,
बैर-भाव को दूर भगाएँ,
मिल-जुलकर त्यौहार मनाएँ,
साथ सुहाना मिले सभी को,
होली में हमजोली का।
देख तमाशा होली का।।
मस्त फुहारें लेकर आया,
मौसम हँसी-ठिठोली का।
देख तमाशा होली का।।
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सोमवार, 9 मार्च 2020
होली गीत "फागुन की रंगोली का" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
बहुत सुन्दर होली गीत प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआपको भी होली की शुभकामनाएं!
उम्दा गीत
जवाब देंहटाएंहोली की ढेरों शुभकामनाएं।