हिन्दुस्तानी सभ्यता, पर होता है गर्व। पञ्च पर्व के साथ में, जुड़ा दीवाली पर्व।। -- धनतेरस त्यौहार पर, घर लाना कंदील। लाना शुद्ध मिठाइयाँ, और धान की खील।। -- पर्व सभी देते हमें, यह पावन सन्देश। कूड़ा-करकट को हटा, स्वच्छ करो परिवेश।। -- दीपक यम के नाम का, कूड़ाघर पर बाल। इसे बालने से नहीं, होती मृत्यु अकाल।। -- सागर मन्थन में मिले, लछमी और कुबेर। दीपक इनके नाम का, करता दूर अँधेर।। -- आवश्यक हो जो वही, क्रय करना सामान। नहीं दिखानी चाहिए, अपनी झूठी शान।। -- जो तन पर अच्छा लगे, पहनो वो परिधान। काले वस्त्रों में लगे, मानव असुर समान।। -- |
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बुधवार, 11 नवंबर 2020
दोहे "धनतेरस त्यौहार" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
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कुहरे ने सूरज ढका , थर-थर काँपे देह। पर्वत पर हिमपात है , मैदानों पर मेह।१। -- कल तक छोटे वस्त्र थे , फैशन की थी होड़। लेक...
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सपना जो पूरा हुआ! सपने तो व्यक्ति जीवनभर देखता है, कभी खुली आँखों से तो कभी बन्द आँखों से। साहित्य का विद्यार्थी होने के नाते...
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 12.11.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
यथावत, प्रभावशाली लेखन - - नमन सह।
जवाब देंहटाएंअत्यंत सुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंधनतेरस पर हार्दिक शुभकामनाएं 🌟🙏🌟
बहुत ही सुंदर दोहे बधाई एवं शुभकामनाएँ सर।
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