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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (१९-१२-२०२०) को 'कुछ रूठ गए कुछ छूट गए ' (चर्चा अंक- ३९२०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
बहुत ही अर्थपूर्ण और सशक्त कविता..। आपको मेरा अभिवादन..।
जवाब देंहटाएंजीवन रवानगी जरुरी है, रुक गए तो फिर चल नहीं सकते कभी
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर
जीवन की गति को दर्शाता सशक्त गीत ।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर गीत, बधाई.
जवाब देंहटाएंआदरणीय, आपने तो ज़िन्दगी के मर्म को इस तरह गीत में पिरोया है कि गीत गुनगुनाते हुए ज़िन्दगी को गुनगुनाने का अहसास हुआ.... बहुत सुंदर और हृदयस्पर्शी गीत।
जवाब देंहटाएंबधाई एवं शुभकामनाओं सहित
सादर नमन,
डॉ. वर्षा सिंह
काम अधिक हैं थोड़ा जीवन,
जवाब देंहटाएंझंझावात बहुत फैले हैं।
नहीं हमेशा खिलता गुलशन,
रोज नहीं लगते मेले हैं।
सुख-दुख की आवाजाही तो,
सदा संग में रहती है।
श्वाँसों की सरगम की धारा,
यही कहानी कहती है।।
जीवन के यथार्थ का समग्र निचोड़ है आपकी इस रचना में....
सादर नमन 🙏
जीवन धारा का मनमोहक चित्र
जवाब देंहटाएंकाम अधिक हैं थोड़ा जीवन,
जवाब देंहटाएंझंझावात बहुत फैले हैं।
नहीं हमेशा खिलता गुलशन,
रोज नहीं लगते मेले हैं।
सुन्दर गीत...
अति सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर सृजन सर,सादर नमस्कार
जवाब देंहटाएंबहुत मधुर सराहनीय रचना
जवाब देंहटाएंवाह बहुत सुंदर जीवन की शाश्र्वत छवि उकेरी है आदरणीय ्््््
जवाब देंहटाएंसार्थक अभिव्यक्ति।