शराब का चलन बढ़ा, खुमार ही खुमार है। |
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झूठ के प्रभाव से, सत्य है डरा हुआ,
जवाब देंहटाएंबेबसी की मार से, आदमी मरा हुआ,
राक्षश प्रसन्न है, देव बेकरार है।
बेवजह गुरूर का, चढ़ा हुआ बुखार है।।
बहुत सुंदर।
अच्छे बुरे का भेद मिट गया है
जवाब देंहटाएंवाह
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 3.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा। आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी|
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
वन्दन
जवाब देंहटाएंसुन्दर प्रस्तुति.. सामयिक रचना
वायदों पे आज, लोकतन्त्र है लदा हुआ,
जवाब देंहटाएंषटपदों के गान पर, फूल हर फिदा हुआ,
गुल गुलाम बन गये, खार पर निखार है।
बेवजह गुरूर का, चढ़ा हुआ बुखार है।।
बहुत अच्छा गीत
गेयता के साथ संदेश का सुंदर सम्मिश्रण
वायदों पे आज, लोकतन्त्र है लदा हुआ,
जवाब देंहटाएंषटपदों के गान पर, फूल हर फिदा हुआ,
गुल गुलाम बन गये, खार पर निखार है।
बेवजह गुरूर का, चढ़ा हुआ बुखार है।। अर्थपूर्ण रचनाएं चाहे दोहे हों या बाल गीत हमेशा अद्वितीय रचनाएँ - - नमन सह।