धरा-दिवस पर कीजिए, यही
प्रतिज्ञा आज। भू पर पेड़ लगाइए, जीवित
रहे समाज।1। -- हरितक्रान्ति से ही मिटे, धरती
का सन्ताप। पर्यावरण बचाइए,
बचे रहेंगे आप।2। -- पेड़ लगाकर कीजिए, अपने
पर उपकार। करो हमेशा यत्न से, धरती
का सिंगार।3। -- रिक्त न रहनी चाहिए, अब
खेतों की मेढ़। सड़क किनारे मित्रवर, लगा
दीजिए पेड़।4। -- प्राणवायु देते सदा, पीपल
जामुन नीम। दुनियाभर में हैं यहीं, सबसे
बड़े हकीम।5। -- बातों से होता नहीं, धरा-दिवस
साकार। यत्न करोगे तब कहीं, बेड़ा
होगा पार।6। -- माता सी पावन धरा, देती
प्यार-अपार। संचित है सबके लिए, धरती
में भण्डार।7। -- एक साल में एक दिन, धरती
का त्यौहार। कैसे होगा दिवस का, फिर सपना साकार।8। -- कंकरीट जबसे बना, जीवन का आधार। धरती की तब से हुई, बड़ी
करारी हार।9। -- पेड़ कट गये भूमि के, बंजर
हुई जमीन। प्राणवायु घटने लगी, छाया
हुई विलीन।10। -- नैसर्गिक अनुभाव का, होने
लगा अभाव। दुनिया में होने लगे, मौसस
में बदलाव।11। -- शस्य-श्यामला भूमि में, बढ़ा प्रदूषण आज। कुदरत से खिलवाड़ अब, करने
लगा समाज।12। -- नकली सुमनों में नहीं, होता
है मकरन्द। कृत्रिमता में मनुज क्यों, खोज रहा आनन्द।13। -- जहर बेचकर लोग अब, लगे
बढ़ाने कोष। औरों के सिर मढ़ रहे, अपने
सारे दोष।14। -- ओछे कर्मों से हुए, हम
कितने मजबूर। आज मजे से दूर हैं, कृषक
और मजदूर।15। -- जबसे खेतों में बिछा, कंकरीट
का जाल। धरती पर आने लगे, चक्रवात-भूचाल।16। -- अब तो मुझे बचाइए, कहती धरा पुकार। पेड़ लगाकर कीजिए, मेरा
कुछ शृंगार।17। पेड़ लगाना धरा पर, मानव
का है कर्म। पर्यावरण सुधारना, हम
सबका है धर्म।18। पेड़ भगाते रोग को, बनकर
वैद्य-हकीम। प्राणवायु देते हमें, बरगद, पीपल-नीम।19। जागरूक होगा नहीं, जब
तक हर इंसान। हरा-भरा तब तक कहाँ, भू
का हो परिधान।20। वृक्ष बचाते भूमि को, देते
सुखद समीर। लहराते जब पेड़ हैं, घन
बरसाते नीर।21। हरियाली कम हो रही, धरती है बदहाल। मौसम आवारा हुए, हालत है विकराल।22। -- |
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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2022
22 दोहे, 22 अप्रैल "धरती है बदहाल" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२३-०४ -२०२२ ) को
'पृथ्वी दिवस'(चर्चा अंक-४४०९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
वाह!आदरणीय सर ,बहुत खूब !माँ धरा की रक्षा हमें करनी ही होगी ।
जवाब देंहटाएंनमस्ते.....
जवाब देंहटाएंआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की ये रचना लिंक की गयी है......
दिनांक 24/04/2022 को.......
पांच लिंकों का आनंद पर....
आप भी अवश्य पधारें....
सुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर दोहे
जवाब देंहटाएंबातों से होता नहीं, धरा-दिवस साकार।
जवाब देंहटाएंयत्न करोगे तब कहीं, बेड़ा होगा पार।6।
--
माता सी पावन धरा, देती प्यार-अपार।
संचित है सबके लिए, धरती में भण्डार।7।
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वाह!!!
लाजवाब दोहे ।
वन्दन
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर भावाभिव्यक्ति