कल तक रुत थी बहुत सुहानी। अब गर्मी पर चढ़ी जवानी।। चलतीं कितनी गर्म हवाएँ। लू से कैसे बदन बचाएँ? नीबू-पानी को अपनाओ। लौकी, परबल-खीरा खाओ।। खरबूजा-तरबूज मँगाओ। फ्रिज में ठण्डा करके खाओ।। -- गाढ़ा करके दूध जमाओ। घर में आइसक्रीम बनाओ।। कड़ी धूप को कभी न झेलो। भरी दुपहरी में मत खेलो।। -- गर्मी को अब दूर भगाओ। शीतल जल से रोज नहाओ।। |
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मंगलवार, 26 अप्रैल 2022
बालकविता "लू से कैसे बदन बचाएँ" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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सरल भाषा में सुन्दर कविता
जवाब देंहटाएंग्रीष्म ऋतु पर सरस रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सर।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत सुंदर रचना...
जवाब देंहटाएं