बाग-बगीचे में जब पौधे, लहर-लहर लहरायेंगे। वीराने उपवन में फिर से, षटपद गीत सुनायेंगे।। -- नेह-नीर पीकर यौवन, जब आयेगा फुलवारी में, महक उठेंगे नन्हें बिरुए, तब बगिया की क्यारी में, पंख हिलाती तितली, भँवरे गुन-गुन गायेंगे। वीराने उपवन में फिर से, षटपद गीत सुनायेंगे।। -- नेह भरी स्नेहिल बाती जब, लौ उजास की उगलेगी, देवताओं का वन्दन होगा, धूप सुगन्धित सुलगेगी, धरती पर पसरा अँधियारा, नन्हे दिये मिटायेंगे। वीराने उपवन में फिर से, षटपद गीत सुनायेंगे।। -- महफिल में जब शमा जलेगी, सुर की धारा निकलेगी, तब वियोग संयोग बनेगा, पीर हृदय की पिघलेगी, धीरे-धीरे जख़्म पुराने, दिल के भरते जाएँगे। वीराने उपवन में फिर से, षटपद गीत सुनायेंगे।। -- गंगाजल फिर निर्मल होगा, कल-कल धारा सरसेगी, धन्य धरा हो जायेगी तब, सुख की बदली बरसेगी, जननी-जन्मभूमि का हम आराधन करते जायेंगे। वीराने उपवन में फिर से, षटपद गीत सुनायेंगे।। -- मेरे भारत की धरती, भारतमाता कहलाती, इसकी रक्षा में वीरों की, चौबिस घंटे तैनाती, जननी-जन्मभूमि का, हम आराधन करते जायेंगे। वीराने उपवन में फिर से, षटपद गीत सुनायेंगे।। -- |
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बुधवार, 27 अप्रैल 2022
गीत "भँवरे गुन-गुन गायेंगे" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 28-04-22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4414 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति चर्चा मंच की शोभा बढ़ाएगी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
दिलबाग
वाह! सराहनीय सृजन सर।
जवाब देंहटाएंसादर
sunder geetmay prastuti !!
जवाब देंहटाएं