-- रोज-रोज आता नहीं, प्यारा दिवस गुलाब। बाँटों महक गुलाब सी, सबको आज ज़नाब।१। -- शुरू हो रहा आज से, विश्व प्रणय सप्ताह। लेकिन मौसम कर रहा, सब अरमान तबाह।२। बारिश-कुहरे से घिरा, पूरा उत्तर देश। नहीं बना मधुमास में, बासन्ती परिवेश।३। नभ आँसू टपका रहा, सहमे रीति-रिवाज। बहुत विलम्बित हो रहा, ऐसे में ऋतुराज।४। लौट-लौट कर आ रहा, हाड़ कँपाता शीत। मौसम ने छेड़ा नहीं, मनभावन संगीत।५। प्रणय-निवेदन के लिए, मौसम है प्रतिकूल। उपवन में अब तक नहीं, खिले बसन्ती फूल।६। सरसों फूली ही नहीं, हरे-हरे सब खेत। सुमनों बिन सूने पड़े, अब भी हृदय-निकेत।७। प्रथम दिवस है रोज-डे, बाँट रहा मुस्कान। पी लेता है दर्द को, कभी न होता म्लान।८। प्रणय-प्रीत के प्रथम दिन, बाँट रहा मुस्कान। सह कर पीर गुलाब-गुल, कभी न होता म्लान।९। आता है मधुमास में, प्रणय-प्रीत सप्ताह। चाह अगर हो हृदय में, मिल जाती है राह।१०। काँटों में पलता हुआ, हँसता-खिलता रोज। बाँट रहा ऋतुराज में, सबको खुशी मनोज।११। ढोंग-दिखावा हैं सभी, पश्चिम के दिन-वार। रोज बदलते हैं जहाँ, सबके ही दिलदार।१२। पश्चिम की है सभ्यता, थोड़े दिन का प्यार। प्रणय-दिवस के बाद में, हो जाती तकरार।१३। प्रीत और मनुहार है, दुनिया का आधार। प्रतिदिन होना चाहिए, सच्चा-सच्चा प्यार।१४। -- |
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मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023
दोहे "प्यारा दिवस गुलाब" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(०९ ०२-२०२३) को 'एक कोना हमेशा बसंत होगा' (चर्चा-अंक -४६४०) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत अच्छी प्रस्तुति
जवाब देंहटाएं