-- शिव-आराधन के लिए, भारत है विख्यात। वन्दन-पूजन के लिए, आती है शिव-रात।। सज्जित सुमनों से हुई, बन्दवार-कनात। निकल रही है शान से, शिव जी की बारात।। शिव मन्दिर में ला रहे, भक्त आज उपहार। दर्शन करने के लिए, लम्बी लगी कतार।। -- बेर-बेल के पत्र ले, भक्त चले शिवधाम। गूँज रहा है भुवन में, शिव-शंकर का नाम।। काँवड़ लेकर आ गये, शिव के भक्त अनेक। पावन गंगा नीर से, करते हैं अभिषेक।। जंगल में खिलने लगा, सेमल और पलाश। हर-हर, बम-बम नाद से, गूँज रहा
आकाश।। गेँहू बौराया हुआ, सरसों करे किलोल। सुर में सारे बोलते, हर-हर, बम-बम
बोल।। शिव जी की त्रयोदशी, देती है सन्देश। अपने प्यारे देश का, स्वच्छ करो परिवेश।। देवों ने अमृत पिया, नहीं मिला वो मान। महादेव शिव बन गये, विष का करके पान।। नर-वानर-सुर मानते, जिनको सदा सुरेश। विघ्नविनाशक के पिता, जय हो देव महेश।। -- सच्चे मन से जो करे, शिव-शंकर का ध्यान। उसको ही मिलता सदा, भोले का वरदान।। |
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शनिवार, 18 फ़रवरी 2023
दोहे "भक्त चले शिवधाम" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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