"4 फरवरी-जन्मदिन है आज मेरा" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री
"मयंक") -- जन्मदिन का जश्न है केवल छलावा, लोग कहते हैं अँधेरे को सवेरा।। घट गया इक साल मेरी उम्र का, लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।। -- आस का दामन पकड़कर चल रहा हूँ, ज़िन्दगी की जेल में मैं पल रहा हूँ, इस धरा की एक ढलती शाम हूँ मैं क्या पता कब उजड़ जाए ये बसेरा। लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।। -- टिमटिमाता हुआ सा खद्योत हूँ मैं, सिन्धु में ठहरा हुआ जलपोत हूँ मैं, सबल लहरों से भला कब तक लड़ूँगा, तिमिर ने चारों तरफ से आज घेरा। लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।। -- कब तलक लश्कर सम्भाले मैं रहूँगा, कब तलक इस रोग की पीड़ा सहूँगा, है सफर की आखिरी मंजिल अज़ल, चाँदनी के बाद आता है अँधेरा। लोग कहते जन्मदिन है आज मेरा।। -- |
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शनिवार, 4 फ़रवरी 2023
गीत "घट गया इक साल मेरी उम्र का" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (०५ -०२-२०२३) को 'न जाने कितने अपूर्ण प्रेम के दस्तक'(चर्चा-अंक-४६३९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत ही सुंदर
जवाब देंहटाएंआदरणीय, नमस्ते 🙏❗️
जवाब देंहटाएंटिमतिमाता हुआ एक खड़्योत हूँ मैं... अद्भुत सृजन!
मेरी आवाज में संगीतबद्ध मेरी रचना 'चंदा रे शीतल रहना' को दिए गए लिंक पर सुनें और वहीं पर अपने विचार भी लिखें. सादर abhaar🌹❗️--ब्रजेन्द्र नाथ