-- अब पछुआ चलने लगी, सर्दी गयी सिधार। कुछ दिन में आ जायगा, होली का त्यौहार।1। सारा उपवन महकता, चहक रहा मधुमास। होली का होने लगा, जन-जन को आभास।2। अंगारा बनकर खिला, वन में वृक्ष पलाश। रंग, गुलाल-अबीर की, आने लगी सुवास।3। नवयुग में इंसान का, दूषित हुआ दिमाग। होली में तेजाब से, खेल रहा वो फाग।4। गेहूँ पर हैं बालियाँ, कुन्दन सा है रूप। सरसों और मसूर को, सुखा रही है धूप।5। अम्मा मठरी बेलती, सजनी तलती जाय। सजना इनको प्यार से, चटकारे ले खाय।6। चहक रहे मधुमास में, दाड़िम काफल-बेर। अँगड़ाई लेने लगे, वन में बूढ़े शेर।7। नफरत का बढ़ जाये जब, आपस में अनुपात। तब तक कभी न कीजिए, कूटनीति की बात।8। जब तक मन में प्रीत के, उगें नहीं ज़ज़्बात। फलीभूत होगी नहीं, तब तक कोई बात।9। आ जायेगी समझ में, जब उनको औकात। हो पायेगी कारगर, तभी काम की बात।10। होती मतलब के लिए, चिकनी-चुपड़ी बात। बातों में आकर कभी, देना मत खैरात।11। सीमाओं पर देश की, सैनिक हैं तैनात। बैरी से सीधे करो, गोली से अब बात।12। बैरी कायर की तरह, जब करता हो घात। रुकना शह देकर नहीं, करना देना तब मात।13। जो सेना के शिविर में, छिप कर करते घात। अब होनी ही चाहिए, उनकी नष्ट जमात।14। बन्द कीजिए दुष्ट से, कूटनीति की बात। बता दीजिए नीच को, अब उसकी औकात।15। कहता शासन से यही, नगर और देहात। सुलह-सफाई की नहीं, बैरी से हो बात।16। गुलदस्ता जैसा लगे, ब्लॉगिंग का संसार। टिप्पणियों से पोस्ट का, बढ़ जाता शृंगार।17। जल्दी-जल्दी बाँट दे, निज गठरी का ज्ञान। साथ नहीं जा पायगा, कंचन विमल-वितान।18। ज्वाला ठण्डी पड़ गई, राख हुए अंगार। साजन के ही साथ में, गये सभी सिंगार।19। पात पीत जब हो गये, हरे-भरे नहीं होय। इस असार संसार में, अमर हुआ नहीं कोय।20। जीत न पाये काल को, क्या ज्ञानी क्या सन्त। ग्रास मौत का बन गये, वैज्ञानिक-गुणवन्त।21। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
मंगलवार, 21 फ़रवरी 2023
इक्कीस दोहे "चहक रहा मधुमास" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
केवल संयत और शालीन टिप्पणी ही प्रकाशित की जा सकेंगी! यदि आपकी टिप्पणी प्रकाशित न हो तो निराश न हों। कुछ टिप्पणियाँ स्पैम भी हो जाती है, जिन्हें यथासम्भव प्रकाशित कर दिया जाता है।