प्रस्ताव-दिवस (PROPOSE-DAY)
-- राजनीति जैसा हुआ, आज प्रणय का खेल। झूठे हैं प्रस्ताव सब, झूठा मन का मेल।। -- पश्चिम के अनुकरण का, बढ़ने लगा रिवाज। प्रेमदिवस-सप्ताह का, दिवस दूसरा आज।। -- मिला कनिष्ठा अंगुली, होते हैं प्रस्ताव। खीँचातानी में कहाँ, होता है सम भाव।। -- कल गुलाब का दिवस था, आज दिवस प्रस्ताव। एक साल में एक दिन, मन में उठता भाव।। -- किया जिसे गत वर्ष था, प्रस्तावित उपहार। एकर साल के बाद क्यों, बदला गया दिलदार।। -- भोगवाद में फँस गये, छोड़ दिया है योग। पश्चिम के व्यवहार को, अपनाते हैं लोग।। -- जीवनभर की प्रीत का, सिमट रहा आधार। रास-रंग के ही लिए, उमड़ रहा है प्यार।। -- ऋतुओं का राजा हमें, देता है सन्देश। दिल से सच्चे मिलन का, उपजाओ परिवेश।। -- छोड़ो ढोंग-ढकोसले, तजो पश्चिमी रीत। अमर हमेशा जो रहे, वो होती है प्रीत।। -- |
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बुधवार, 8 फ़रवरी 2023
दोहे "प्रस्ताव दिवस (PROPOSE-DAY)" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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