-- तानाशाही से लुटी, बड़ी-बड़ी जागीर। जनमत के आगे नहीं, टिकती है शमशीर।१। सुलभ सभी कुछ है यहाँ, दुर्लभ बिन तदवीर। कामचोर ही खोजते, दुनिया में तकदीर।२। गद्दारों के साथ में, आयुध होते क्रुद्ध। आगे बढ़ने के सभी, पथ होते अवरुद्ध।३। माताओं की लोरियाँ, और बहन का प्यार। बचा हुआ है आज भी, रिश्तों का संसार।४। सावन में सूखा पड़े, सरदी में बरसात। फसलें अब भी झेलतीं, पाले का उत्पात।५। आवारा मौसम हुए, हुआ बसन्त उदास। उपवन में कैसे बुझे, भँवरों की अब प्यास।६। अभी नहीं मधुमास में, चहके सुमन पलाश। बेर-बेल में आयेगी, कैसे भला मिठास।७। सकते में हैं लोग सब, कैसे सुधरें हाल। सरदी में सूखे पड़े, झील, सरोवर-ताल।८। मानवता के भवन की, दहल रही दहलीज। वैसी फसलें काट लो, बोये जैसे बीज।९। बदले जीवन ढंग हैं, बदले रस्म-रिवाज। ओढ़ सभ्यता पश्चिमी, हुआ असभ्य समाज।१०। नकली सी मुसकान हैं, नकली हैं उपहार। फिर कैसे मिल पायेगा, नैसर्गिक शृंगार।११। गंगा, यमुना-शारदा, संगम है अभिराम। बनते तप-जप बुद्धि से, जग में सारे काम।१२। ले जाता है गर्त में, मानव को अभिमान। जो घमण्ड में चूर हैं, उनको वो होते नादान।१३। जग को जब लगने लगा, डूब रही है नाव। बिन माँगे देने लगे, अपने कुटिल सुझाव।१४। धुल जाते मिल-बैठकर, मन के सब सन्ताप। सातों सुर के योग से, बनता है आलाप।१५। परमेश्वर के नाम पर, होते वाद-विवाद। लेकिन संकट के समय, ईश्वर आता याद।१६। दम्भ और अभिमान में, मानव रहता चूर। लेकिन पग-पग पर मनुज, है कितना मजबूर।१७। कण-कण में जो रमा है, वो ही है भगवान। मन्दिर-मस्जिद में उसे, खोज रहा नादान।१८। ईश्वर-अल्ला एक है, क्यों करते हो भेद। जग-पालक के नाम पर, क्यें होते मतभेद।१९। फिरकों में बँटने लगा, अब तो सभ्य समाज। पूजा और अजान भी, बना दिखावा आज।२०। कुटिल नहीं होते कभी, जीवनभर सन्तुष्ट। कथित सन्त हैं जगत में, अब भी कामी-दुष्ट।२१। आये हैं जो धर्म के, बनकर ठेकेदार। इनसे मैली ही मैली हुई, गंगा जी की धार।२२। ओढ़ लबादा मनुज का, आये हैं शैतान। रामनाम के नाम पर, बन बैठे धनवान।२३। |
"उच्चारण" 1996 से समाचारपत्र पंजीयक, भारत सरकार नई-दिल्ली द्वारा पंजीकृत है। यहाँ प्रकाशित किसी भी सामग्री को ब्लॉग स्वामी की अनुमति के बिना किसी भी रूप में प्रयोग करना© कॉपीराइट एक्ट का उलंघन माना जायेगा। मित्रों! आपको जानकर हर्ष होगा कि आप सभी काव्यमनीषियों के लिए छन्दविधा को सीखने और सिखाने के लिए हमने सृजन मंच ऑनलाइन का एक छोटा सा प्रयास किया है। कृपया इस मंच में योगदान करने के लिएRoopchandrashastri@gmail.com पर मेल भेज कर कृतार्थ करें। रूप में आमन्त्रित कर दिया जायेगा। सादर...! और हाँ..एक खुशखबरी और है...आप सबके लिए “आपका ब्लॉग” तैयार है। यहाँ आप अपनी किसी भी विधा की कृति (जैसे- अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कर सकते हैं। बस आपको मुझे मेरे ई-मेल roopchandrashastri@gmail.com पर एक मेल करना होगा। मैं आपको “आपका ब्लॉग” पर लेखक के रूप में आमन्त्रित कर दूँगा। आप मेल स्वीकार कीजिए और अपनी अकविता, संस्मरण, मुक्तक, छन्दबद्धरचना, गीत, ग़ज़ल, शालीनचित्र, यात्रासंस्मरण आदि प्रकाशित कीजिए। |
Linkbar
फ़ॉलोअर
बुधवार, 15 फ़रवरी 2023
चौबीस दोहे "पथ होते अवरुद्ध" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
लोकप्रिय पोस्ट
-
दोहा और रोला और कुण्डलिया दोहा दोहा , मात्रिक अर्द्धसम छन्द है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) मे...
-
लगभग 24 वर्ष पूर्व मैंने एक स्वागत गीत लिखा था। इसकी लोक-प्रियता का आभास मुझे तब हुआ, जब खटीमा ही नही इसके समीपवर्ती क्षेत्र के विद्यालयों म...
-
नये साल की नयी सुबह में, कोयल आयी है घर में। कुहू-कुहू गाने वालों के, चीत्कार पसरा सुर में।। निर्लज-हठी, कुटिल-कौओं ने,...
-
समास दो अथवा दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए नए सार्थक शब्द को कहा जाता है। दूसरे शब्दों में यह भी कह सकते हैं कि &qu...
-
आज मेरे छोटे से शहर में एक बड़े नेता जी पधार रहे हैं। उनके चमचे जोर-शोर से प्रचार करने में जुटे हैं। रिक्शों व जीपों में लाउडस्पीकरों से उद्घ...
-
इन्साफ की डगर पर , नेता नही चलेंगे। होगा जहाँ मुनाफा , उस ओर जा मिलेंगे।। दिल में घुसा हुआ है , दल-दल दलों का जमघट। ...
-
आसमान में उमड़-घुमड़ कर छाये बादल। श्वेत -श्याम से नजर आ रहे मेघों के दल। कही छाँव है कहीं घूप है, इन्द्रधनुष कितना अनूप है, मनभावन ...
-
"चौपाई लिखिए" बहुत समय से चौपाई के विषय में कुछ लिखने की सोच रहा था! आज प्रस्तुत है मेरा यह छोटा सा आलेख। यहाँ ...
-
मित्रों! आइए प्रत्यय और उपसर्ग के बारे में कुछ जानें। प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है , पीछे चलन...
-
“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
वाह! लाजवाब दोहे
जवाब देंहटाएं