यह हलका-फुलका हास्य गीत लिखने का असफल प्रयास किया है! तन से हिन्दुस्तानी हूँ, लेकिन मन गोरा मम्मी जी! इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!! अपनी सभ्य-सुसंस्कृत भाषा, नहीं बोल मैं पाता हूँ अंग्रेजों की जूठन को तो, बहुत चाव से खाता हूँ, आँख मूँदकर, तोता बनकर रटता जाता मम्मी जी! इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!! कुर्सी पर बैठाया तो है, लेकिन दास बना डाला, भरी तिजोरी मुझको सौंपी, लेकिन लटकाया ताला, चाबी का गुच्छा तुमने खुद ही कब्ज़ाया मम्मी जी! इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी! खाती हो अपने घर का, लेकिन मैके का गुण गाती, परदे के पीछे रहकर, तुम अपना कहना मनवाती, मैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी! इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!! |
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मंगलवार, 7 जून 2011
"हास्यगीत-चप्पल-जूता मम्मी जी!" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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“ हिन्दी में रेफ लगाने की विधि ” अक्सर देखा जाता है कि अधिकांश व्यक्ति आधा "र" का प्रयोग करने में बहुत त्र...
ha ha ha ha .....maza kara diya ji.
जवाब देंहटाएंpranaam !
कुर्सी पर बैठाया तो है, लेकिन दास बना डाला,
जवाब देंहटाएंभरी तिजोरी मुझको सौंपी, लेकिन लटकाया ताला,
चाबी का गुच्छा तुमने खुद ही कब्ज़ाया मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!
वाह! शास्त्री जी! बहुत खूब लिखा है आपने! कार्टून तो मज़ेदार है और साथ ही साथ रचना भी बहुत ज़बरदस्त लगा!
खाती हो अपने घर का, लेकिन मैके का गुण गाती,
जवाब देंहटाएंपरदे के पीछे रहकर, तुम अपना कहना मनवाती,
मैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!
व्यंग भरी ... एक सच्चाई !!!
आज जरूरत है इसकी ..
शुभकामनाएँ!
हास्य को भी आपने अच्छी तरह निभाया है !
जवाब देंहटाएंबेहद बढ़िया लगी यह कविता.
जवाब देंहटाएंसादर
मैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी
जबरदस्त.
हास्य गीत में सटीक और करार व्यंग है ..बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंशानदार लिखा है सर आपने बहुद बढ़िया
जवाब देंहटाएंएक तमाचा है ये कई लोगो के गालो पर जरिरी ये है की ये उन लोगो तक पहुंचे भी
racana padhee,aanand aayaa. badhayee.
जवाब देंहटाएंसही लीक मिला कर आपने जूता लगाया है, बस ऐसे ही जूतों की दरकार है इस सरकार को. बहुत मजा आया .
जवाब देंहटाएंसर! आपकी इस पोस्ट का लिंक यहाँ भी है
जवाब देंहटाएंतस्वीर के अनुरूप अच्छा हास्य इस कविता में.
जवाब देंहटाएंवह शास्त्री जी मजेदार लिखा है आपने अपनी कविता के माध्यम से आपने सच कह दिया! आप लोग मेरे ब्लॉग पर् भी आये! ब्लॉग है सम्राट बुंदेलखंड ब्लॉग पर् आने के लिए यहाँ क्लिक करे!-"samrat bundelkhand"
जवाब देंहटाएंShastriji,Vyang kavyo ke jarie Mahir Kavi thode hi labzo me bahut kuchh keh sakta hai.Aap ne bhi bahyachar aur real charactor bakhubi se ooksaya hai.Shakti-maan dikhaya muze aur Shakti hai aapki.
जवाब देंहटाएंखाती हो अपने घर का, लेकिन मैके का गुण गाती,
जवाब देंहटाएंपरदे के पीछे रहकर, तुम अपना कहना मनवाती,
मैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!!
भई वाह बहुत जबरदस्त....
बढ़िया व्यंग्य!
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
खाती हो अपने घर का, लेकिन मैके का गुण गाती,
जवाब देंहटाएंपरदे के पीछे रहकर, तुम अपना कहना मनवाती,
मैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!!
hasya-byang per likhi aaj kal ki isthti per satic aur bahut hi badiyaa rachanaa.badhaai sweekaren.
हा हा हा दादा नाम मेरा लगा दिया पहले ही मुझ से खार खाये कांग्रेसी अब मुझे छोड़ेंगे नही
जवाब देंहटाएंhahah.....kaafi manoranjak aur sateek vyangya bhi.....
जवाब देंहटाएंbahut khoob!!!
बहुत ही असरदार गीत। हास्य से व्यंग्य की ओर जाता यह गीत समसामयिक भी है।
जवाब देंहटाएंमैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!!
Mazedar .
Poori rachna hi lajawaab hai aur iske Prawaah to adbhut hai. Aasani se zabaan par chadh jati hai .
अच्छा है जी .
जवाब देंहटाएंमैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी
वाह शास्त्री जी करारा व्यंग, आपकी लेखनी के आयाम देखकर आश्चर्य होता है , बधाई अभिवादन
शानदार व्यंग , शास्त्री जी । बहुत ही उम्दा।
जवाब देंहटाएंखाती हो अपने घर का, लेकिन मैके का गुण गाती,
जवाब देंहटाएंपरदे के पीछे रहकर, तुम अपना कहना मनवाती,
मैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!!
...करारा व्यंग बहुत मज़ेदार है....
लेकिन यह तो असरदार है...
जवाब देंहटाएंखाती हो अपने घर का, लेकिन मैके का गुण गाती,
जवाब देंहटाएंपरदे के पीछे रहकर, तुम अपना कहना मनवाती,
मैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
इसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!
Bahut Badhiya... :)
बहुत ही तीखा व्यंग...मज़ा आ गया...मम्मी जी और उनका बेटा गया...तेल लेने...
जवाब देंहटाएंमैं सरदार नाम का हूँ, तुम असरदार हो मम्मी जी!
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो उछल रहा है, चप्पल-जूता मम्मी जी!!
बहुत खुब जी मजा आ गया, इन दोनो को एक एक जुता हमारी तरफ़ से भी, लेकिन भिगो भिगो के...
" maza a gaya sir ...kya mast juta mara hai aapne ....haaaaa....ha aaj ke daur ka sahi chitran "
जवाब देंहटाएंdil se nikalee dil tak pahunchee... dil ne kiya salaam.
जवाब देंहटाएंdil se nikali dil tak pahunchee, dil ne kiya salaam
जवाब देंहटाएंबहुत ही सटीक
जवाब देंहटाएंsingh is not always king
जवाब देंहटाएंsingh is not always king
जवाब देंहटाएंhaste ro mitro
जवाब देंहटाएंगज़ब की धारदार और शानदार व्यंग्य रचना . आभार .
जवाब देंहटाएंagar ye halka-fulka hasye geet hai to, bhari bharkam kya hoga, Manmohan pyare ji aur kya kya likhbaoge apne bare main! maja aaya sir ji! is halke fulke se kam bhari-bharkam ho gaya! lekin jo soye huye hain unka kya!
जवाब देंहटाएंshaan dar geet!
hahahahhaha...........bahut khub bhai ji
जवाब देंहटाएंmaza aa gaya padh ke
अरे वाह! क्या बात है? वैसे हम तो ख़ूब हँसेंगे पर बेशर्मो पर क्या फ़र्क पड़ने वाला?
जवाब देंहटाएंबहुत खूब।
जवाब देंहटाएं---------
बाबूजी, न लो इतने मज़े...
चलते-चलते बात कहे वह खरी-खरी।
शानदार व्यंग
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी! आपका हास्य लाज़वाब है ज़रा इसपर भी ग़ौर फ़रमाएं-
जवाब देंहटाएं"ज़ुल्मो-सितम को ख़ाक करने के लिए,
लाज़िमी है कुछ हवा की जाय और।
उस लपट की ज़द में तो आएगा ही;
बाबा या नाती या चाहे कोई और।।
एक जब फुंसी हुई ग़ाफ़िल थे हम,
शोर करने से नहीं अब फ़ाइदा।
अब दवा ऐसी हो के पक जाय ज़ल्द;
बस यही है इक कुदरती क़ाइदा।।
वर्ना जब नासूर वो हो जाएगी,
तब नहीं हो पायेगा कोई इलाज।
बदबू फैलेगी हमेशा हर तरफ़;
कोढ़ियों के मिस्ल होगा यह समाज।।"
वाह ये हुआ ना शानदार व्यंग्य्………………असरदार्……………बेह्द उम्दा।
जवाब देंहटाएंlovely sarcasm !!
जवाब देंहटाएंkhoobsurat vyang hai guru ji...
जवाब देंहटाएंसटीक ....
जवाब देंहटाएंमैं सरदार नाम का हूँ ,तुम असरदार हो मम्मीजी ,
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो उछल रहा है ,चप्पल जूता मम्मीजी ।
वाह डॉ .रूप चंद शाष्त्री जी मयंक "एक बिजूके "एक क्रो स्केयर बार को सरदार कहा आपने ।
एक बिजूके को सरदार बनाया खूब आपने मम्मी जी ,
कितनी और तारीफ़ करूं,मैं आज आपकी मम्मीजी !
मैं सरदार नाम का हूँ ,तुम असरदार हो मम्मीजी ,
जवाब देंहटाएंइसीलिए तो उछल रहा है ,चप्पल जूता मम्मीजी ।
वाह डॉ .रूप चंद शाष्त्री जी मयंक "एक बिजूके "एक क्रो स्केयर बार को सरदार कहा आपने ।
एक बिजूके को सरदार बनाया खूब आपने मम्मी जी ,
कितनी और तारीफ़ करूं,मैं आज आपकी मम्मीजी !
एक बिजूके को तुमने सरदार बनाया मम्मी जी ,
जवाब देंहटाएंसिर पे कौवे आ बैठे ,कैसा धिक्कार है मम्मी जी ।
शाष्त्री जी जल्दी ही इसका "सह -भावित रिमिक्स आ रहा है "।
आभार आपका तनाव कम हो गया जो देश के स्थिति ने बना दिया था .