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रविवार, 26 जून 2011
"कब मुलाकात होगी-गुरूसहाय बदनाम" (प्रस्तोता-डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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बदनाम साहिब की यह गजल अच्छी लगी।
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बदनाम है, ये शायर तो यार |
जवाब देंहटाएंबड़े तरन्नुम से पढ़ी , रचना आशिक मार |
रचना आशिक मार, बात तो लिखकर होगी |
करे इशारे रोज, बहुत बड़का ये ढोंगी |
है रविकर बदनाम, करेगा गड़बड़ रातें |
दिल में ले तूफ़ान , करे क्यूँ मुलाकातें ||
बदनाम साहब से परिचय करवाने के लिये आभार
जवाब देंहटाएंजब तूफां थमेगा,
जवाब देंहटाएंकुछ होश सा बनेगा।
वो चल तो दिये दिल में तूफॉ उठाये
जवाब देंहटाएंफिर ‘बदनाम’ से कब मुलाकात होगी badnaam sahab ki gajal bahut achchi lagi.aapka aabhaar ki aapke madhyam se hamko bhi itani achchi gajal padhne ko mili.thanks.
बदनाम साहब की ग़ज़ल अच्छी लगी - धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंbahut khoob...bas ek mulakat jruri hai ....
जवाब देंहटाएंdr saahb ne resarch karke bhtrin gzal pesh ki hai mubark ho.. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर शायरी ...जबाब नही ..
जवाब देंहटाएंbadnam sahab ki shayri bahut achchhi lagi .aabhar
जवाब देंहटाएंवो चल तो दिये दिल में तूफॉ उठाये
जवाब देंहटाएंफिर ‘बदनाम’ से कब मुलाकात होगी
bahut sundar
शानदार प्रस्तुति! लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंबहुत सरस ग़ज़ल।
वो शरमा के जब अपने लब खोल देंगे
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के फूलों की बरसात होगी
बहुत खुबसूरत, मुहब्बत की कहानी सुना रहा है हर शेर शुभकामनायें
" lajawab ..adbhut prastuti .."
जवाब देंहटाएंbahut sundar gajal chhotawriters.blogspot.com
जवाब देंहटाएंबहुत ही खूबसूरत गज़ल!
जवाब देंहटाएंबदनाम साहब की ग़ज़ल अच्छी लगी!
जवाब देंहटाएंवो शरमा के जब अपने लब खोल देंगे
जवाब देंहटाएंमोहब्बत के फूलों की बरसात होगी
आभार