आज पढ़िए! मौसम के अनुकूल रचना! पकने को तैयार खड़े हैं! शाखाओं पर लदे पड़े हैं!!झूमर बनकर लटक रहे हैं! झूम-झूम कर मटक रहे हैं!! कोई दशहरी कोई लँगड़ा! फजरी कितना मोटा तगड़ा!!बम्बइया की शान निराली! तोतापरी बहुत मतवाली!! कुछ गुलाब की खुशबू वाले! आम रसीले भोले-भाले!! |
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शनिवार, 4 जून 2011
"शाखाओं पर लदे पड़े हैं" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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kavita parkr hi mooh mein pani aa gaya
जवाब देंहटाएंलटके हुए आम के चित्र देख कर बस लपक कर इसे तोड़ने का मन कर गया।
जवाब देंहटाएंआपने इतना सरस “आम” बनाया है कि बस मुंह में पानी आ गया, पर हमारे यहां के “खास” को जगह नहीं दी अपने बगीचे में तो मैं ही दो पंक्तियों में इन्हें लगा देता हूं।
हिम सागर की है सबसे बात निराली
जल्दी से पा लो, है खत्म होने वाली।
आम का मौसम,घर में बैठे-बैठे आम के बगीचे की सैर करा दी.तोतापरी का सौंदर्य तो सबसे हट कर है.बहुत ही रसीली बाल-कविता.बड़े भी कैसे बच सकते हैं ? मुंह में पानी तो सभी के आएगा.
जवाब देंहटाएंकमाल कर दिया आपने तो आज शाखाओं पर लटका दिया और मूँह मे पानी ला दिया।
जवाब देंहटाएंअरे साहब मेरे यहां भी लगे हैं... :)
जवाब देंहटाएं" आम देख में मन में लालच आया
जवाब देंहटाएंमन ही मन में इसे तोड़ खाया "
वाह जी आम तो अपनी जान है
जवाब देंहटाएंशुरु से.. तोतापुरी,सफेदा,सिंदूरी,केसर,नीलम,दशहरी,चौसा,लंगड़ा,रस्गुला,देसी टपका,फजली
६० किलोग्राम आम खाने का टारगेट है इस बार बहुत अच्छी बहार है अबकी बार बस १० दिन मौसम और साथ दे
यम यम यम
हम भी रोज खा रहे है, पर आप तो एकदम ताजे पर हाथ साफ़ कर रहे हो,
जवाब देंहटाएंलालच लगवा दी इस रचना और तस्वीरों ने...
जवाब देंहटाएंबहुतशानदार लिखा है सर!
जवाब देंहटाएंसादर
क्या यह आम , आमआदमी के लिए है ? हमने तो देख कर ही आनंद ले लिया .....
जवाब देंहटाएंक्या सजीले आम हैं ... बहुत सुन्दर कविता और चित्र भी
जवाब देंहटाएंmunh mein pani aa gya sahab....
जवाब देंहटाएंwe are also mango people--------------------bole to aam aadmi
जवाब देंहटाएंफलो के राजा ...आम की जय हो ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंजैसा रोशनी जी ने कहा की कविता पड़ते ही मुह में पानी आ गया!आखिर कविता में भी तो फलो के राजा आम है!धन्यवाद जो आपने इतनी अच्छी कविता हम तक पहुचाई !आप लोग मेरे ब्लॉग पर भी आये!आने के लिए ये रही लिंक-"samrat bundelkhand"
जवाब देंहटाएंसुन्दर मनभावन रचना.
जवाब देंहटाएंमौसमी ....
्बहुत सुन्दर गीत और उतना ही सुन्दर आमों का मनमोहन रूप।
जवाब देंहटाएंवाह! मीठे रसीले आम देखकर तो मुँह में पानी आ गया! आम तो मेरा सबसे पसंदीदार फल है! ख़ूबसूरत प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंमुंह में पानी आ गया!
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