आम-आम कहते रहे, आम ना जाने कोय। ईश्वर भी तो आम के, बसा हृदय में होय।। खाते-खाते आम को, नेता बन गये खास। इन खासों की बात पर, कौन करे विश्वास।। |
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* लिखकर ख़ास मयंक जी, कहते उसको आम | आम नहीं दोहे यह, हैं अमूल्य बेदाम || |
मनोज कुमार ने कहा… * लोकतन्त्र में किसी के, मुख पर नहीं लगाम। सस्ती है अब खासियत, महंगा कितना आम। |
* खरे दाम जो दे सके, वही खायेगा आम। बिन पैसे के मित्रवर, मुँह पर देओ लगाम।। |
आम पर आपके दोहे पढ़े, उधर कुछ ब्लॉग वालों की लड़ाई इसके पहले पढ़ी. बस फिर क्या ये कुण्डली बन गई.देखिये:- ब्लॉग जगत में हो रहा,आमों जैसा हाल. खट्टे -मीठे आम से,भरी मिले हर थाल. भरी मिले हर थाल ,कहे तुकमी से चौसा. कर लो दो दो हाथ चलो तुम हमसे मौसा. देख लड़ाई, जान हमारी है सांसत में. आमों जैसे लोग लड़ रहे ब्लॉग जगत में. |
"ब्लाग" बातों का आम-रस है। इसका आनन्द उठाते रहिए, मुस्कराते रहिए।=========== लोकतंत्र में "आम" को, बातों की बस छूट। जितने "ख़ासमख़ास" वे, उतनी उनकी लूट॥ =========== मुस्कान हास्य का कायिक लक्षण है। मुस्कान संक्रामक भी होती है। जब कोई व्यक्ति आपको मुस्कराता हुआ देखता है तो वह भी मुस्काराने लगता है। =========== "आम" पर आपकी प्रस्तुति पढ़ करके आनन्द आ गया। डॉ० डंडा लखनवी |
बहुत खूबसूरत रचना .. आम खाते हुए भी आम ( इंसान) पर सोच ... लोकतंत्र में हो गया, आज आदमी आम | इतने सारे आम हैं ,पर ज्यादा हैं दाम || |
रचना नित्य नवीन रच उपजाते उल्लास । दोहे लिखकर आम को बना दिया है खास। |
Ravikar ने कहा… हर फल आमो-ख़ास दे, इकलौता ये पेड़. खास हुए सब आम अब , खाकर बहुत थपेड़. |
ख़ास तुम्हारे साथ हैं, साथ हमारे आम! साथी जिसके आम हों, होता उसका नाम!! |
टिप्पणियों से बन गई, पोस्ट बहुत यह ख़ास!
जवाब देंहटाएंआम-ख़ास के मेल का, आज हुआ आभास!!
आपकी प्रेरणा से हम सबको भी
जवाब देंहटाएंदोहा रचने का अवसर प्राप्त हो गया!
यही खासियत है आपकी कहीं से भी कुछ भी लेकर रचना का निर्माण कर लेते हैं…………ये अन्दाज़ भी बहुत अच्छा लगा।
जवाब देंहटाएंअवलोकन कर पोस्ट का हुआ सुंदर आभास,
जवाब देंहटाएंबात-बात में आपने आम को कर दिया खास।
waah ! :-)
जवाब देंहटाएंअपने लिए तो हर कोई जीता है . किन्तु आप अपने प्रेरक व्यक्तित्व के बल पर औरों को भी प्रेरित - प्रभावित कर रहे हैं . यह महान गुण है. कभी आपसे मिला तो मेरा अहोभाग्य होगा .
जवाब देंहटाएंआम खास की बात में लेकर कितने नाम
जवाब देंहटाएंबात बात में कर गए कितनों को प्रणाम
टिप्पणी टिप्पणी जोड़ के दोहा लए बनाएँ,
जवाब देंहटाएंऐसे खास काम बस शास्त्री जी कर पायें.:)
आम-आम की चर्चा में आम हो गया खास
जवाब देंहटाएंसबके मन को भाती है इसकी महक-मिठास...
गूगल बज़ से-
जवाब देंहटाएंprithwipal rawat - wah wah ji!
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aam aam sab kah rahe, jo the khasamkhaas!
dekh aam ki khasiyat, neta bhaye udaas!
neta bhaye udas, ho gaya halla gulla!
jo the khasamkhaas, ban gaye hain rasgulla!
kahe 'musafir' aam ki, mahima aprampaar!
aam-aam ne kar diya, khasoon ka bantadhaar!
सोने पे सुहागा.
जवाब देंहटाएंparm adarjog dr.saheb apaki aammaawali ki dohawali aakanth ras se sarabor kar gayi.
जवाब देंहटाएंपहले आम पर फिर टिप्पणियों पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत किये आपने. बढ़िया है.
जवाब देंहटाएंaapki har rachna aapko bhale hee aam lagtee ho lekin humein to khaas hee lagtee hai!
जवाब देंहटाएंवाह ! शास्त्री जी आपने तो कमाल कर दिया! टिप्पणी से रचना बना दिया और बड़े ही सुन्दरता से प्रस्तुत किया है!
जवाब देंहटाएंजैसी पोस्ट वैसी शानदार टिप्पणियां। काश, मुझे भी दोहा लिखना आता।
जवाब देंहटाएं---------
ये शानदार मौका...
यहाँ खुदा है, वहाँ खुदा है...
पंडित जी इस देश में बहुत कमाया नाम,
जवाब देंहटाएंखास नहीं हम बन सके, बने रह गए आम!
अच्छा लिखने वाले कम, अच्छा पढ़ने वाले कम, पढ़कर समझ सकने वाले और भी कम... लेकिन अगर एक अच्छे लेख/कविता/दोहे को अच्छे पढ़ने वाले मिलें, इतने अच्छे, और इतने सृजनात्मक, कि वे समझकर प्रतिक्रियाओं को दोहों के रूप में लिख दें, तो लेखक की प्रसन्नता, उत्साह, संतोष का क्या ओर छोर होगा. आपकी रचना से आपके यही भाव छलक रहे हैं. :)
जवाब देंहटाएंrespected sir ji nice lines for Mangoes
जवाब देंहटाएं"Kiya mosuam aya hai
jiwaan mai Aam ki bahar laya hai,
aam kiya khaas hai jiwan may itnei mithass hai" such appney to pura jiwaan hi Mathias sey bhar diya sir.
आपने तो आम को खास बना दिया।
जवाब देंहटाएंअपने शेर को दोहे के रूप में देखना अच्छा लगा ।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया ।