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रविवार, 16 दिसंबर 2012
"मिलन की आस" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)

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प्यार से प्यारी अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंप्रियतम तुम्हरे आवन में..,
जवाब देंहटाएंअइन संग बहारे सावन में..,
सनेहित रस बर बरखा धर..,
लइन रंग फुहारें सावन में.....
meethi-meethi.....
जवाब देंहटाएंभावों से नाजुक शब्द......
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा प्रस्तुति ,,,,
जवाब देंहटाएंrecent post हमको रखवालो ने लूटा
बेहतर लेखन !!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर और प्यारी रचना।
जवाब देंहटाएंप्यारी रचना.....
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूब!
जवाब देंहटाएंआपकी यह सुन्दर प्रविष्टि कल दिनांक 17-12-2012 को सोमवारीय चर्चामंच-1096 पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
सुन्दर और प्यारी रचना बहुत उम्दा
जवाब देंहटाएंसदियों का तुम मौन तोड़कर,
मीठे स्वर में बोलोगे,
अपनी साँसो के सम्बल से,
मुझको तुम सहलाओगे।
स्नेहिल रस बरसाओगे और
रंग फुहारें लाओगे।।
सुन्दर रचना !!
जवाब देंहटाएंउम्दा रचना !
जवाब देंहटाएंप्यार भरी सुन्दर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा .प्यार भरी सुन्दर प्रस्तुति. बधाई।
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रेममय प्रस्तुति ।
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया प्रेम गीत .प्रकृति में प्रेम के रंग बोता हुआ . तृप्ति से संसिक्त .
जवाब देंहटाएंkaaga sab tan khaaiyo mera chun chun khaaiyo maas....
जवाब देंहटाएंdo naina mat khaaiyo mohe piya milan ki aas...
प्यार भरी सुन्दर प्रस्तुति। SAR G
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