मीत का साथ निभाओ तो कोई बात बने। गीत में साज बजाओ तो कोई बात बने।। एक दिन मौज मनाने से क्या भला होगा? रोज दीवाली मनाओ तो कोई बात बने। इन बनावट के उसूलों में धरा ही क्या है? प्रीत हर दिल में जगाओ तो कोई बात बने। क्यों खुदा कैद किया दैर-ओ-हरम में नादां, रब को सीने में सजाओ तो कोई बात बने। सिर्फ पुतलों के जलाने से फायदा क्या है? दिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।
“रूप” की धूप रहेगी न सलामत नादां,
इश्क का ध्यान लगाओ तो कोई बात बने।
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सोमवार, 14 अक्तूबर 2013
"रावण को जलाओ" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’)
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सिर्फ पुतलों के जलाने से फायदा क्या है?
जवाब देंहटाएंदिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।
वाह ! बहुत सुंदर गजल !
विजयादशमी की शुभकामनाए...!
RECENT POST : - एक जबाब माँगा था.
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर .
जवाब देंहटाएंविजयादशमी की शुभकामनाएँ .
बहुत सुन्दर .
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर !
जवाब देंहटाएंजरूर बनेगी जब बनेगी बात !
सिर्फ पुतलों के जलाने से फायदा क्या है?
जवाब देंहटाएंदिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।
बहुत सुन्दर कहा आपने !
अभी अभी महिषासुर बध (भाग -१ )!
बहुत खूब ,बहुत खूब ,बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंसिर्फ पुतलों के जलाने से फायदा क्या है?
दिल के रावण को जलाओ तो कोई बात बने।