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गाँव-नगर में बना दो, शिक्षा का परिवेश।
अलख जगा दो ज्ञान की, करो साक्षर देश।।
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कोई व्यक्ति नहीं रहे, यहाँ अँगूठा-छाप।
पढ़ने-लिखने के बिना, जीवन है अभिशाप।।
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साक्षरता के दिवस को, मना रहा संसार।
शिक्षित करो समाज को, दिवस करो साकार।।
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दीप जलाकर ज्ञान का, दूर करो अज्ञान।
जाकर निर्धन के यहाँ, दे दो अक्षर ज्ञान।।
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पढ़े-लिखे ही लोग तो, करते जग-उद्धार।
जीवन के हर क्षेत्र में, फैला दो उजियार।।
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सुन्दर और सार्थक सृजन ।
जवाब देंहटाएंसाक्षर व्यक्ति सत्ताधारियों के लिये किसी चुनौती से काम नहीं होते फिर भी साक्षरता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंसादर
सार्थक आह्ववान करते हुए दोहे
जवाब देंहटाएंसादर अभिवादन आ0
सुंदर प्रेरक दोहे समय की मांग ।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम सृजन।
बढ़िया दोहे
जवाब देंहटाएंआदरणीय सर , आपके दोहे सटीक और सार्थक हैं। हार्दिक साधुवाद।
जवाब देंहटाएंमन में उठ रहे असमंजस को रख रहा हूँ। हो सकता है कि मेरी सोच में त्रुटि हो।
प्रथम दोहे का चौथा चरण : करो साक्षर देश : मात्रा भार - १२ २२१ २१ = ११ यानि यहां क्ष के लिए मात्रा भार २ हुआ।
तीसरे दोहे का प्रथम चरण : साक्षरता के दिवस को: २२१२ २ १११ २ = १४ , जो सही नहीं कहा जायेगा। तो क्या यहां पर क्ष के लिए मात्रा १ रखी जाएगी। कृपया मेरा असमंजस दूर किया जाय। सादर ! उम्मीद है आप अन्यथा नहीं लेंगें। -- ब्रजेन्द्र नाथ
बहुत सुंदर और सार्थक सृजन
जवाब देंहटाएंगाँव-नगर में बना दो, शिक्षा का परिवेश।
जवाब देंहटाएंअलख जगा दो ज्ञान की, करो साक्षर देश।।
विश्व साक्षरता दिवस पर बहुत ही सुंदर संदेश देते दोहे ,सादर नमस्कार सर