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आम और लीची, मुँह में पानी आ गया
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी लगता है खटीमा में आजकल इंद्र देवता की कृपा हों रही है.यहाँ(दिल्ली में ) तो गर्मी से झुलस रहें हैं.आपके आशीर्वाद से यहाँ भी बारिश होने का इंतजार करेंगें.
जवाब देंहटाएंआम , लीची और ये कविता वाह.
जवाब देंहटाएंसरस और गेय गीत से मन प्रमुदित हुआ।
जवाब देंहटाएंअरे ! हम तो गरमी में झुलस रहे हैं …
जवाब देंहटाएंआपकी रचना से ठंडक पाने का प्रयास करते हैं
शास्त्री जी ज़िंदाबाद ! :)
kal mere yahan barish to aai par ole nahi aaye.mosam ke anusaar likhna to koi aap se seekhe.bahut badhiya baal kavita.
जवाब देंहटाएंमतलब आपके यहाँ चौमासा आ गया और हम यहाँ झुलस रहे हैं …………कुछ इधर भी भेज दीजिये।
जवाब देंहटाएंलीची पर ही टूट पड़िए...बस चार दिन का मेहमान होती है।
जवाब देंहटाएंअकेले आनंद न उठाईये कुछ वर्षा इधर भी भिजवाइये
जवाब देंहटाएंbahut pyari kavita babu ji...aabhar..
जवाब देंहटाएंयहाँ भी यही फुहार भरा मौसम है।
जवाब देंहटाएंअभी तो सिर्फ बानगी है...मौसम विभाग के अनुसार इस बार अच्छी बरसात होगी...आंधी-पानी-ओले के साथ इस बार आगाज़ ठीक दिख रहा है...आम और लीची...पानी भर आया मुंह में...
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