पिछले वर्ष "प्रियवर अलबेला खत्री जी" को समर्पित करते हुए यह गीत लिखा था! आज पुनः आप सबके साथ |
किशमिश में आ गये हैं! सूखे हुए छुहारे, उनको लुभा गये हैं!! बूढ़े हुए तो क्या है, मन में भरा है यौवन, गीतों के जाम में ही, ढाला हुआ है जीवन, इस उम्र में भी हम तो, दुनिया को भा गये हैं! सूखे हुए छुहारे, उनको लुभा गये हैं!! बनकर नवल-नवेले, पापड़ बहुत हैं बेले, मिट्टी की हम महक में, नाचे हैं और खेले, उनकी नजर में हम तो, ब्लॉगिंग में छा गये हैं! सूखे हुए छुहारे, उनको लुभा गये हैं!! ठेले हैं शब्द हमने, कुछ जोड़-तोड़ करके, व्यञ्जन परोसते हैं, नींबू निचोड़ करके, वीणा सुतान सुनकर, यह राग पा गये हैं! सूखे हुए छुहारे, उनको लुभा गये हैं!! |
हा हा हा सर! क्या बात है:))..बेहतरीन लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंसादर
सूखे हुए छुहारे जब उनको भा गए हैं
जवाब देंहटाएंबहती गंगा में आप नहा गए हैं
उम्दा !
मोम का सा मिज़ाज है मेरा / मुझ पे इल्ज़ाम है कि पत्थर हूँ -'Anwer'
शानदार कविता, फ़ोटो देख कर तो खाने को मन भी कर रहा है,
जवाब देंहटाएंसर, एक कहावत है...साठा सो पाठा...जब से निशब्द आई है...छुहारों के भी भाव बढ़ गये हैं...
जवाब देंहटाएंहंसने हँसाने की अच्छी व्यवस्था है
जवाब देंहटाएंसही जगह समर्पित
जवाब देंहटाएं:):) बहुत बढ़िया ...
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी सुनते है 'छुहारों' का दूध आजकल आपको बहुत भा रहा है.स्ट्रोक पर स्ट्रोक लगाये जा रहें हो. कभी चौक्का तो कभी छक्का.फिल्डिंग करते करते पसीना छुडवा दे रहें है. कहते हैं "नया नौ दिन पुराना सौ दिन".सूखे छुहारों से और क्या क्या कमाल करेंगें आप.
जवाब देंहटाएंनई पोस्ट आज ही जारी की है.थोड़े स्ट्रोक्स वहां भी हो जाये.
aur yah haarya ras ki kavita humko bhaa gai.hahaha...maja aa gaya padh ke.but sookhe hue chuvare sabse jyada gunkaari hote hain.yeh bhi satya hai .
जवाब देंहटाएंये सूखे छुआरे तो सब पर भारी पड रहे है सारे ब्लोगर्स घबरा रहे हैं ……………बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत खूब्\ रहे सूखे हुये छुआरे। बधाई।
जवाब देंहटाएंशास्त्री जी छुवारे तो स्वयं ही सूखे होते है इसीलिए खजूर नही छुवारे होते है
जवाब देंहटाएंअब हसने का उपक्रम करता हूँ हा हा हा
गिन के तीन बार क्योकि तीन से तेरह बनते देर नही लगता
मै ब्लागिंग करता हूँ इस आनंद से अपने को वंचित करके कैसे रहू
बस अभी छुवरा नही बना हूँ
प्रणाम
बूढ़े हुए तो क्या है,
जवाब देंहटाएंमन में भरा है यौवन,
गीतों के जाम में ही,
ढाला हुआ है जीवन,
इस उम्र में भी हम तो,
दुनिया को भा गये हैं!
सूखे हुए छुहारे,
उनको लुभा गये हैं!!
आप तो सदा बहार है शास्त्री जी ...
वाह ये तो बहुत ताक़तवर बात हो गई (ड्राईफ़ूट की बात जो है)
जवाब देंहटाएं:)
भई वाह ...बहुत खूब...
जवाब देंहटाएंअंगूर सूखे या रहस्य जागे।
जवाब देंहटाएंमैने तो आपको कहा ही था बिना पढ़े :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति। धन्यवाद|
जवाब देंहटाएं:) क्या बात है बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएं):) बहुत बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंये सूखे हुए छुहारे सभी ड्रायफ्रूट्स पर भारी पड रहे हैं ।
जवाब देंहटाएंbahut achchi lagi.....
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