जिसका अस्तित्व नही मिटा पाई,
कभी भी,समय की आंधी ।
ऐसा था,
हमारा राष्ट्र-पिता,महात्मा गान्धी ।।
कितना है कमजोर,
सेमल के पेड़ सा-
आज का नेता ।
जो किसी को,कुछ नही देता ।।
दिया सलाई का-
मजबूत बक्सा,
सेंमल द्वारा निर्मित,एक भवन ।
माचिस दिखाओ,और कर लो हवन ।
आग ही तो लगानी है,
चाहे-तन, मन, धन हो या वतन।।
यह बहुत मोटा, ताजा है,
परन्तु,
सूखे साल रूपी,गांधी की तरह बलिष्ट नही,
इसे तो गांधी की सन्तान कहते हुए भी-
.........................।।
aak kavi ki kavitha hai ye
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar
keya kahane
aap ke
good
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आज तो ये कहना भी उनका अपमान ही होगा……………दिल से लिखी गयी कविता तडप उजागर करती है।
जवाब देंहटाएंआज कि राजनीति और राजनेता पर सार्थक टिप्पणी... बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंभविष्य के लिये वर्तमान ही इतिहास हो जाता है।
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा आपने....
जवाब देंहटाएंsharm aati hai....bahut sahi kaha hai aapne.bahut antar hai kal me aur aal me.badhaai bahut achchi rachna.
जवाब देंहटाएंsach me bhaut antar hai kal aur aaj me....
जवाब देंहटाएंसंतान नही अपमान हैं } हमारा की जगह हमारे और था की जगह थे करने का अनुरोध है। हालांकि मुझे कविता के गजल के नियमो का ज्ञान नहीं।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर... बधाई
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही फ़रमाया आपने.
जवाब देंहटाएंरामराम
बहुत सही लिखा है आपने...
जवाब देंहटाएंयह बहुत मोटा, ताजा है,
जवाब देंहटाएंपरन्तु,
सूखे साल रूपी,गांधी की तरह बलिष्ट नही,
इसे तो गांधी की सन्तान कहते हुए भी-
.........................।।
Waah ...
Einstine ने यों ही नहीं कहा था कि आने वाली पीढ़ियां बमुश्किल यह यक़ीन करेंगी कि ऐसा कोई व्यक्ति कभी इस धरती पर था।
जवाब देंहटाएं.....
जवाब देंहटाएंन कहके भी आपने बहुत कुछ कह दिया है!
Hola
जवाब देंहटाएंPienso que no sois derecho. Soy seguro. Lo discutiremos. Escriban en PM.
http://www.ddl17.com/
Truden
सुन्दर रचना, खूबसूरत अंदाज़
जवाब देंहटाएंसेंमल का पेड़, माचिस का डब्बा और आज का नेता
जवाब देंहटाएंबहुत खूब शास्त्री जी :)
क्या बात है...
जवाब देंहटाएंभिक्षाटन करता फिरे, परहित चर्चाकार |
जवाब देंहटाएंइक रचना पाई इधर, धन्य हुआ आभार ||
http://charchamanch.blogspot.com/
VERY NICE
जवाब देंहटाएंआपने बिल्कुल सही कहा है! सुन्दर रचना! दिल को छू गई!
जवाब देंहटाएंबहुत सही कहा है आपने इस अभिव्यक्ति में ... आभार ।
जवाब देंहटाएंबहुत श्रेष्ठ रचना।
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