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यही ढोंग और ढकोसले आज हमारे दीन ईमान और चरित्र को खा रहे हैं लेकिन हम फिर भी सही रास्ता पकड़ने के लिए तैयार नहीं हैं।
जवाब देंहटाएंआप एक सच्चे साहित्यकार का धर्म ख़ूब निभा रहे हैं।
ऐसे साहित्यकार को वास्तव में साहित्यकार कहा जा सकता है।
शुक्रिया !
http://pyarimaan.blogspot.com/2011/08/blog-post.html
शायद इसलिए कि आज आदमी के चरित्र में बस गया है यह सब।
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क्या आपके ब्लॉग में वाइरस है?
बिल्ली बोली चूहा से: आओ बाँध दूँ राखी...
isi dasha par sarvadhik chintit hone ki awashyakta hai.....
जवाब देंहटाएंआज कोई भी ढोंग v aadambar ke bina nahi jeeta .badhiya post .आभार
जवाब देंहटाएंसही सवाल उठाती पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएंइसके अलावा रह ही क्या गया है अब?
जवाब देंहटाएंरामराम.
हालात के अनुकूल रचना।
जवाब देंहटाएंखुद को बड़ा बताने से,
जवाब देंहटाएंक्या ऊँट बड़ा हो जाता है,
पास पहाड़ों के आने से,
राज़ सामने आता है,
अपने बिल में घुस कर चूहा,
बनता बहुत सिकन्दर क्यों?
ये तो prani matr के sahaj swabhav में ही shamil है kutta भी अपने ghar में sher बनता है और बाहर bheegi billi.ये aadambar तो आज dunia की aaavshyakta see ban गयी है. सार्थक प्रस्तुति
bahut sundar racna hai
जवाब देंहटाएंnaye yug ke naee racana
सही प्रश्न उठाया है सर।
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कल 15/08/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
यह ढोंग और पाखंड ही तो 1100 वर्षों तक देश को गुलाम बनाए रहा और आज भी यह गुलाम प्रवृति लोग अपना का गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। कविता प्रेरक एवं अनुकरणीय है।
जवाब देंहटाएंसटीक और गहरा कटाक्ष किया है परिस्थितियों पर।
जवाब देंहटाएंसही है दादा अब एक हफ़्ते तक आपकी कलम रूकनी नही चाहिये वरना मै झगड़ा करने आउंगा खाल खींच दो अब देर नही
जवाब देंहटाएंसही कटाक्ष पूर्ण रचना...
जवाब देंहटाएंsahi kaha dr.saheb dhong ne hi to humen janwar se aadami banaya hai
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गीत...बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंगहरे एहसास लिए रचना ...
जवाब देंहटाएंसदियों से चली आ रही परंपरा को भला कौन ...तोड़ेगा...?
जवाब देंहटाएंanu
यथार्थ को बताती हुई सार्थक रचना /बहुत सही ढंग से लिखा है आपने /चित्र भी रचना के अनुसार लगाया है आपने /बधाई आपको /
जवाब देंहटाएंब्लोगर्स मीट वीकली (४)के मंच पर आपका स्वागत है आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आभार/