(1) त्यागी-बलिदानी आज गौण हुए भारत में, छँठे हुए लोगों ने राज हथियाया है। भ्रष्टाचार-अनाचार चारों ओर पापाचार, रामराज का तो हुआ देश से सफाया है। साधकों के सुर आज मौन हुए भारत में, हमको नहीं ऐसा प्रजातन्त्र रास आया है। (2) चारों और पश्चिमी बयार चली झूम-झूम, घूम रही सड़कों पे आधीनंगी काया है। घोटालों में लिप्त हुआ शासन का मेरुडण्ड, दूध-घी का रखवाला, बिल्लों को बनाया है। किसको सौपे आज अपने देश की कमान को, सच्चा सा सपूत कोई नज़र नहीं आया है। |
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मंगलवार, 9 अगस्त 2011
"दो मुक्तक" (डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री "मयंक")
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आज सच का सटीक प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय शास्त्री जी पहली बार टाइपिंग की गलती नजर आ रही है?
राकेश कौशिक जी!
जवाब देंहटाएंऑनलाइन लिखता हूँ ना
इसलिए गल्ती से "का" दो बार
टाइप हो गया था!
--
याद दिलाने के लिए आभार!
अब सुधार कर दिया है!
'दूध-घी का रखवाला, बिल्लों को बनाया है।
जवाब देंहटाएंकिसको सौपे आज अपने देश की कमान को,
सच्चा सा सपूत कोई नज़र नहीं आया है।'
वाह!
(शास्त्री जी यह टिप्पणी बाक्स पोस्ट के नीचे ही लगा दें यहाँ भी और चर्चा मंच पर भी कभी-कभी पूरा पेज वाला बाक्स खूलने में बड़ी दिक्कत करता है)
soye huye aazaad gulamon ko jagane ka sarthak pryaas sarahaniy.thanx
जवाब देंहटाएंसामयिक एवं सार्थक रचना।
जवाब देंहटाएं------
बारात उड़ गई!
ब्लॉग के लिए ज़रूरी चीजें!
वाकई !
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha yesa prjatantra raas nahi aaya hai.bahut uchch koti ke muktak hain.badhaai.
जवाब देंहटाएंभष्ट्राचार का विकेन्द्रीकरण अधिक तेजी से हो गया है।
जवाब देंहटाएंdono muktak bahut hee atulneey hain!
जवाब देंहटाएंबिलकुल सटीक वर्णन किया है आपने .
जवाब देंहटाएंदोनों मुक्तक बहुत अच्छा लगा! सटीक और सार्थक प्रस्तुती!
जवाब देंहटाएंएक सार्थक गीत.. बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंkhubsurat muktak...
जवाब देंहटाएंहर पार्टी ....एक से बढ कर एक है ....सब एक ही थाली के चट्टे- बट्टे है
जवाब देंहटाएंऐसे देश का क्या होगा ....राम ही जाने ?????
--
एक सार्थक गीत.. बहुत सुन्दर...
जवाब देंहटाएंखूबसूरत मुक्तक |
जवाब देंहटाएंshandar bhav samahit kiye hui rachna,,hardik badhayee,,,,bahut dino se aap mere blog pe nahi aaye hain...aapko sadar amantrit kar raha hoon
जवाब देंहटाएं