पहले काम तमाम करें। फिर थोड़ा आराम करें।। आदम-हव्वा की बस्ती में, जीवन के हैं ढंग निराले। माना सबकुछ है दुनिया में, पर न मिलेगा बैठे-ठाले। नश्वर रूप सलोना पाकर, काहे का अभिमान करें। पहले काम तमाम करें। फिर थोड़ा आराम करें।। सागर है जलधाम कहाता, लेकिन स्वाद बहुत है खारा। प्यास पथिक की सदा बुझाती, कलकल-छलछल करती धारा। खुद खायें, औरौं को खिलाये, जमा न ज्यादा दाम करें। पहले काम तमाम करें। फिर थोड़ा आराम करें।। सोना उसको ही मिलता है, जिसने सोना त्याग दिया। उसका ही जग हो जाता है, जिसने भी अनुराग किया। सम्बन्धों को सदा निभायें, रिश्ते ना बदनाम करें। पहले काम तमाम करें। फिर थोड़ा आराम करें।। |
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मंगलवार, 22 मई 2012
"पहले काम तमाम करें" (डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक')
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बहुत सही लिखा है आपने यही तो जीवन का सार है
जवाब देंहटाएंमाना सबकुछ है दुनिया में,
पर न मिलेगा बैठे-ठाले।
नश्वर रूप सलोना पाकर,
काहे का अभिमान करें।
पहले काम तमाम करें।
फिर थोड़ा आराम करें।।
atiuttam vichar
यही जीवन का मूल मन्त्र है,,,,
जवाब देंहटाएंवाह ,,,, बहुत अच्छी प्रस्तुति,,,,
खुद खायें, औरौं को खिलाये,
जवाब देंहटाएंजमा न ज्यादा दाम करें।
पहले काम तमाम करें।
फिर थोड़ा आराम करें।।
काम आज का कल पे न छोड़े ,आज ही काम तमाम करें ,फिर बच्चों आराम करें .,जग में ऐसा काम करे ,रोशन खुद का नाम करे ....बढ़ी प्रस्तुति है सन्देश सार्थक थमाती हुई ,चलते चलते ...
ram ram bhai हुई की बोर्ड और टेबल पर भी परम्परा गत संगत अच्छी रही . .कृपया यहाँ भी पधारें -
मंगलवार, 22 मई 2012
ये बोम्बे मेरी जान (भाग -5)
http://veerubhai1947.blogspot.in/
यह बोम्बे मेरी जान (चौथा भाग )http://veerubhai1947.blogspot.in/
तेरी आँखों की रिचाओं को पढ़ा है -
उसने ,
यकीन कर ,न कर .
कृपया यहाँ भी पधारें -
दमे में व्यायाम क्यों ?
दमे में व्यायाम क्यों ?
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/2012/05/blog-post_5948.html
बहुत ही सुंदर सार्थक गीत.....
जवाब देंहटाएंसोना उसको ही मिलता है,
जवाब देंहटाएंजिसने सोना त्याग दिया।
उसका ही जग हो जाता है,
जिसने भी अनुराग किया।
...लाज़वाब ! बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति...
सोना उसको ही मिलता है,
जवाब देंहटाएंजिसने सोना त्याग दिया।
उसका ही जग हो जाता है,
जिसने भी अनुराग किया।
सम्बन्धों को सदा निभायें,
रिश्ते ना बदनाम करें।
पहले काम तमाम करें।
फिर थोड़ा आराम करें।।
वाह शास्त्री जी अति उत्तम रचना ………शानदार प्रस्तुतिकरण
ये तो जीवन का मूल मंत्र आपने छाप दिया लेकिन इसको कितने अपनाये इसकी न कोई बात करो. अपने लिखा हमने वाह वाह तो की लेकिन इसके बाद हमारे मूल मंत्र इसके विपरीत भी हो सकते हें . तब हमें ऐसे शब्दों पर वाह वाह करने का कोई हक नहीं होता.
जवाब देंहटाएंआमंत्रित सादर करे, मित्रों चर्चा मंच |
जवाब देंहटाएंकरे निवेदन आपसे, समय दीजिये रंच ||
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बुधवारीय चर्चा मंच |
जीवन का सार बयान करती उत्तम रचना |
जवाब देंहटाएंआशा
सुंदर सार्थक गीत
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएंबेहतरीन !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब
जवाब देंहटाएंसुन्दर सीख देती रचना
बहुत सुन्दर ..
जवाब देंहटाएंbahut hee badhiyaa sansmaran!
जवाब देंहटाएंतमाम' शब्द का श्लेष,कर्मोप्देश,बंधन के कारण सागर का खारापन तथा 'सोना'शब्द में रूपक आ
जवाब देंहटाएंकाम शेष हो तो नींद भी नहीं आती है..
जवाब देंहटाएं